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गरिब किसानके संघरिया


गरिब किसानके संघरिया


एक समयके बाट हो, थारू गाउँक पाँजर एकठो बरेघन बनुवा रहे । उ बनुवामे एकठो शक्तिशाली बघुवक बसेरा रहिस । गाउँक मनै उ बघुवासे डरैठैं, काकरेकि कबुकाल ऊ गाउँक लग्गे अइनाकरे । तर, कोइ दिन उ बघुवा ओ  एक गरिब किसानबीच अनौठो मित्रता होगैलिन ।

गाउँम एकठो गरिब किसान रहे । ऊ बरे मेहनती रहे तर ओकर परिवारके पेट पाल्न कर्रा रहिस । एकरोज, ऊ बनुवम घाँस काटे गैलरहे उहे बेला अचम्मके आवाज सुनल – बघुवा खोब बोलटहे । 

जब उ किसान लग्गे पुगल, उ देखल कि बघुवा एकठो  काँटम अंट्कल रहे । काँटाले बघुवक गोरा बरेजोर गिरा बाझल रहिस, जेकरकारण ऊ नेंगे नैसेकटहे ।




बघुवा किसानहे हेरकर बोलल, "मै बरे पीडामे बटुँ, कृपया मही मद्दत कर!"

पहिले टे किसान डराइल, तर ओकर मनेम दयालु रहिस । उ  अपन  हँसिया प्रयोग कैके काँटा निकारदेहल । काँटा निकारलपाछे बघुवक पीडा कम हुइलिस । किसान ओकर  घाउ सफा करदेहल ओ  कुछ समयसम्म उसको हेरचाह करल । कुछदिन पाछे बघुवा ठिक होगैल ।

बघुवा किसानहे कहल, "तै मोर जीउ बचैले, आब मै तुहिन कबु नोक्सान नै करम । तुहिन जबफेन मद्दत चाहिते महि सम्झिस।"

समय बित्टि गैल, किसान अभिन गरिबे रहे । एकरोज, बघुवा किसानके घरेम आइल ओ कहल, "तुहिहे मै सहयोग कर्ना चहठुँ।"




बघुवा किसानहे एकठो बनुवक गोप्य ठाउँमे लैगिल, जहाँ बरेढेर सोनक पैसा नुकाइल रहे । बघुवा कहल, "यि धन तैलैले, काकरेकि तै महि जीवनदान डेलेवटे ।"

किसान ठोरचेकिल सोन लेहल, काकरेकि ऊ इमानदार रहे। उ  सोनसे किसानके जीवन परिवर्तन हुइलिस – ऊ धनी हुइल, तर अहंकारी नैबनल।

गाउँक मनै अचम्मित हुइलै, काकरेकी बघुवा कबुफेन  किसानहे नोक्सान नै करल । बरु, कबुकाल किसानहे बनुवम भेंट करे आए ।

असिके, एकठो साधारण कृपासे एकठो क्रुर जनावरहे फेन संघरिया बनाइसेक्ना शिक्षा यी कथा डेहठ । "दयालु व्यक्ति हरपल सुरक्षित ओ सम्मानित रठैं" कना सन्देश यी लोककथा प्रचलित बा ।


- संगम चौधरी

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