हमार समाजमे बहुत पहले से कहट आईल कहकुट बा "लाल मजा गुरी मिठ"। हुइना टो लाल बाहेक ओरे रङ फे मजा रहठ ओ गुरी बिना ओरे चिजफे मिठ रहठ। तबुफेन हमार मन लाल ओ गुरीमे नै अतकल रहट। ई कहकुट कहाँसे प्रचलन आइल पटा भर नै हो। तर महिन का लागठ कलेसे हमार समाजमे सबसे आघे जोन छाप बैठल रहट उ मेटैना कर्रा परट। अपनेन् के फे ख्याल कर्ले हुईबी हमार छोट छोट भैया बाबुन रङमे लाल ओस्वादमे गुरी मन परथिन । और इ बात हमरमे फे लागु हुइल हो छोट रहल बेला । हम्रे फे रङमे लाल ओस्वादमे गुरी रोजले रही। उ बेलाक छाप अभिन सम हमार दिल दिमागमे बैठल बावई। मने लाल किल मजा ओ गुरी किल मिठ कना चाही नै हो । उ त हमार दिमागमे बैठल छापके सृजना करल दृष्टिकोण हो । जोन गलत टो नै हो तर सत्य फे नै हो ।
ठिक अस्टहिके अबेक अधिकांश प्रेम शरिरके सौन्दर्यताहे केन्द्र बिन्दु बनाके हुइना क्रम जारी बा । कोइ शारीरिक रुपमे सुग्घर बातै कलेसे सकहुन मन पर्ठिन । अबे कलेज पहारटी रहल युवा शक्ति और यी बातहे बलगर कर्के पुष्टि कर्टि बातै। सकु युवा शक्ति हुक्रन एक ध्यानमे धारकरे व्याख्या कर्ना दुस्साहस नै करेक परट ओ मै करम फे नै। तर अधिकांश आधार मानके हम्रे कलेजमे भोगल या देखल एक ठोस सत्य काहो कलेसे कक्षा ११ मे भर्ना हुई अईना नयाँ विद्यार्थी हुक्रनके भिडमे के कटना सुग्घर बा कहिके प्राय कलेजके उपर कक्षामे रहल लौण्डा मनैके आँखी हेरटी रहट । कुछ दिन समतो संघरियनके विचमे नयाँ विद्यार्थीके चर्चा परिचर्चा मजै स्थान पाइठ् । लवण्डी मित्र हुक्रे फे अस्ते कर्थै कहे चाहि नाई मिलत । काहेकि मै अपने कलेजके लाइफमे भोगल ओ देखल बातहे आधार बनाके कलह हो।
खै, छोरी यो बिटल बातहे स्मरण करे खोज किल हो। आजकल प्रेम कना चिज शारीरिक सुन्दरताके कसिक मापन हुइता तो । ओस्ते तो पहिले पहिले सुन्दरताके कोनो फे अर्थ नै रहे कहे खोजल हो। टबु फेन गैल समयमे प्रेम सम्पुण रुपमे सुन्दरतामे केन्द्रित रहल चाहि अवश्य हो। केकर गर्ल फ्रेण्ड वा ब्वाई फ्रेण्ड कटना सुग्घर काना आजकल यहाँ बहुत देखे मिलत। संघरियनसे भेट कर्के फे अपन अपन मनैनके किल चर्चा कर्के समय बिटठ् आजकल । सुन्दरता एकथो पुल हो जेकर साहायताले केक्रो लगे हुके उहिन बुझे सेक्जाइठ् । ओकर आनीबानी, रुची, व्यवहार सक्कु अध्ययन करे सहयोग पुगाईठ सुन्दरता। मने यहाँ एके का हुदेहल कलेसे सुन्दरता नै सब कुछ हो कहिके ठहरे लागल।
सुन्दरता नै प्रेम करेक लाग आवश्यक योग्यता हस् हुदेहल आब । खाली रुपमे किल निर्भर हुई लागल बावई, अब्वे हम्रे कर्ना प्रेम। उ मेरिक लाग कटना सुहैहीन, पहुँच संगके सम्नध कटना सम दीर्घकालिन हुइ सेकी कना ओर सोच्ना आवश्यकता नै महसुस नै कर्थि हम्रे । जेकर कारण हमार टिकाउ हुई नाई सेकथ ओ युवा जमातमे रिस-राग, भविष्यप्रति गैर कार्यक्रमी जसीन समस्या स्थान पाइलागल बावई। नतिजा तो असिन फे बाकि युवाशक्ति जीवनके महत्व नै बुझके कुलत ओर फेन लग्टी बाटै । अबे कुलतमे फसल युवाके विगत पल्टैवो कलेसे अधिकांश कारण प्रेम नै रहथ । प्रेमे कलक त जीवन बाचे सिखैना कला पो हो ट । मन यकर भोगाइ छिपल नै हुके कच्चहि रहलेक ओरसे हम्रे नै अनेक प्रकारके दोष करटी बाटी । अतना समकि हम्रे चुनल गलत डगरा प्रेम हो कहे पछे जो पर्ठि । ई कनाके सोझ अर्थ काहो कलेसे, हम्रे प्रेम कलेक नै सुन्दरता हो कहे जबर जस्ती बुझली । प्रेममे सुन्दरताके अर्थ काहो टे, कहे एकचुटुन फे सोचना कोसिस नै कैली। कोइ सुग्घुर देखना नै हुइल कि बत्तीमे पुटली घुम्ठै ओस्तेके प्रेम कर्ना हतार हुआजाईथ हम्रहीन । उ हमर लग कटना ठिक, कटना बेठिक कहिके सोचना फुर्सद नै रहठ हम्रहीन ।
बरु कोई अपन बनालिकी डरले जतना सेक्ना जल्दि प्रेम जलके सुत्र लगाके आपन बनैनामे जैथी। यही कारण हो कि एक आपसमे मेल नै हुइना रहल नाता लम्मा सफर तक नै जैना। महिन तो का लागत कलेसे, सुन्दरता प्रतिके हमार दृष्टिकोण नै गलत बा । हम्रे जिहिन अन्तिम सत्य हो कहे बुझ्ठी, ओहे नै आपनमे भ्रमपूर्ण रहठ। और कहलेसे हम्रे जिहीन सुन्दरता कहथी वास्तवमे ओहे सुन्दरता चाँहि नाई हो। हम्रे अबे जिहीं सुघर वा सुन्दर कहठी अफ्रिकामे जैबी कलेसे ओहे नै सुग्घर नै रहही ओ सुन्दर फे नै रहही। ओइनके परिवेशमे सुन्दर हुइक लाग औरे बात चाहि । तवे त रुपके सुन्दरता हमार भ्रम किलं त हो नि। अनि यी बातहे जन्ति जन्ती प्राथमिकता देहलेसे नतिजा फेतो ओस्ते अइना स्वभाविक नै हो ।
तवे मारे प्रेममे सुन्दरता हे कोन स्थानमे धरना अब। हम्रे प्रष्ट हुइना जरुरी बावई । सुन्दरता बिकाउ हुई सेकी मने टिक हुई नाइ सेकी । सुन्दरता टिकाउ कबु हुई नाई सेकी। गमेर रहल सम, बैस रहल सम किल हो, सुन्दरता कायम रहि। उमेर ढल्कति जाइतो सुन्दरता फे अपनही हेरैटी जाई। सुन्दरता क्षणिक रहठ, यि तो आइठ और जाइठ फे। मने प्रेम कर्ना क्षमता भर जबफे कायमे रहठ । ओ मनैनहे प्रेमके आवश्यकता सद् परति रहठ । जवानीमे आवश्यक परल सुन्दता बुराइलमे नै चाहथै मनै। मने उ वेलाफे प्रेम अनिवार्य आवश्यकता रहठ । प्रेममे सुन्दरता कुछ शोभा बहाई सेकत माने सुन्दरता बिना प्रेम नै सेकी काना चाही नै हो । बरु सुन्दरताहे प्राथमिकता देके करल प्रेम दिगो नाइ सेकी। महिनसे फे सुन्दर और आई तो ऊ प्रेम ओराई सेकी और ओकर सुन्दरतामे कमी आइतो प्रेममे कमी आइ लागठ् । तवेमारे फे अब्वेक आवश्यकता कलेक प्रेममे सुन्दरताहे कटना समके स्थान देना हो, सुन्दरता बिना प्रेम नाई हुइथ काना भमर किल हो।
साभार- हरचाली त्रैमासिक
- बिनोद चौधरी
0 टिप्पणियाँ