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भुईचाल ओ मै

भुईचाल ओ मै


एकठो कहकुट बा प्रकृतिक विपत्ति कबु सिटी बजाके नै आईठ। कब कहाँ का हुइठ कोई जाने नै सेकठ। ओमहे फे भुईचाल आउर अन्खोहर प्राकृतिक विपत्ति हो आज सम कौनो वैज्ञानिक कब कहाँ कसिक जाइठ पात्ता लगाई नै सेक्ले हुईट । यी टे हुइल वैज्ञानिक बाट । हमार पुर्खा लोग कहिँट खेचुहिया करोट लेहठ टे धर्ती हिलठ । जा हुइले से वैशाख १२ गते नेपालमे अचानक महाविनासकारी भुईचाल आइल । कैयौ मनै मुला, कटना घाहिल हुईला । कटना घर ध्वस्त हुईल । काठमाडौ फे ज्यादा प्रभावित हुईल । यहाँ बैठाइक क्रम मे भुईचाल मोर जीवनमे कबो नै विस्रैना क्षणबनलबा । भुइचल के अभिन मोर जिउ जलकल बा। ऊ दिनके अनुभव अपनिनठन साटे जाइदूँ।




२०७२ वैशाख १२ गते शनिश्चरके रोज अफिस छुट्टी रलक ओरसे सबजे कोठामे रही। छुट्टीक दिन सरसफाई लहाखोरके ढिला ११ बजे ओर बुह्रिया-बुह्रुवा कल्वा खैली । लोरका (मोर ८ वरषके छावा भतिजा, भतिजी) रेशम फिलिलि फिलिम हेरे गैलरहिँट । लरका भरखर आके खाना खाई डटल रहिँट । बुहिया किचेन सफाई कर्टिही, मै खटियामे आराम करटहुँ । घडीक सुई ११ बजके ५६ मिनेट गैल रहे । अचानक सारा घर डडग डडग हिले लागल। सक्कुजे आपन-आपन थाँउसे भुईचाल आईल भुईचाल आईल कटी जराकजुरुक उठगैलाँ। मै फे खटियामसे उठके बैठक कोठामे गैलूँ । सक्कु जाने एक आपसमे हाठ पकरके गुरच्या गैली । डुवार पकरले रहिगली। केकरो गोरा दुवारसे आगे नै बढे  सेकल । हम्रे फेन पांचुजे गुरच्याईल भुईचालके संगे हिलेलग्ली । उप्पर दलिन हेरी, सिलिंगमे झुराइल सुपली झलमल झलमल हिलटा, दुवार कंटकट कटकट बोलटा। घर हिलत देखके लागे कि अब छट हमर पर गिरजाई । लरकनके खाना मे गिलासक पानी अरागैल, पानीक बोटल ढरक्के छलर बलर कार्पेटमे फैलगेल। र्यागमे ढैल सामान जम्मा भुईम गिर गैल। सिसा चरकचुरुक करेलागल । दराज लकझक लकझक करे लागल । टब्बेहे बथरुमके बरका ऐनागिरके फुटल झरामसे आवाज आईल आउर डर लागल । सब जाने अक्टा गैलाँ । सक्कुजे चिलपो चिलपो करे लग्ला। अपने डरैलेसे फेन मुली महिरहू सकहुन धारस डेलूँ, कुछुनै हुई जिन डराउ । कै मेकेण्ड हिलाइल ठिक्के याद नै हो। ठन्चे समय फे ई अवस्थामे घचिक हिलाई हस लागठ। माने धक्का ओराइल टब हतरपतर खाली गोर तरे उतरली ओ अंगनामे गैली । हमार क्वाटर के आगे बरवार खुलाचौर बा मने उहाँ क्वाटर बैठुइयन सक्कुजे  मनै बाहिर निकर राख्ने रहिँ।




बाहर निकरली टे हल्ला खाल्ला हुइटहे । मनै कहटी रहीट फेनके घुम्ने आइठ। ना कटिकिल २ मिनेट पर से फेन भुईया मसमस मसमस हिले लागल। हिलैना फेन दोसर मेरके हिलाइल कबु तरे उप्पर पटकेहस, कबु अइठेहस लगे, कबु दायाँ बाँया बहला झुलाई हस । आसपासके बरेबरे घर, रुखवा लस्स-लस्स हिलट विल्गे, ठरहाइल मनै फेन ठच्च ठच्च बठै लागल रहिँट। सायद हिलटसम कोइनै ठरहियाई सकेल सबजे चार गोर बके बनाके बैठ गैलाँ भगवान के नाम जप्टी। उ समय लागे की आप प्रलय नै होजाय। कबु धर्ती बिल्टेहस लागे। बरवार हवा, हुण्डरी आईहस लागे । आवाज फेन बहुत अन्खोहर चारु ओर से गमगम गमगम आवाज सुने मिले, का जाने का गिरेहस लागे। हुइना ते उ समय वातावरण फे ओस्टे रहे । चौरमे एक घचिक पुरा कोलाहल मच गैल ।




लगभग एक मिनेटके कम्पन परसे एकघचिक पुरा सन्नाटा छाईल । केक्रो मुहसे शब्द नै निक्रे सेकटहे। सब मनै चक्वाइल, कवाइल विल्गिन्ट। मनैनके मुहार भयभित बिल्लिगन । अभिन सब्जे डरके मारे लग्लगैटी रहिँट । एक घिक सुस्तैलाँ गाईगुई करे लग्ला। मनै अनुमान लगाई लग्लाँ आज बहुट धेर क्षति हुइल बा । ढेर मनै हताहत हुईल बटाँ । कोई कहता गोंगबु एरिया पुरा ढुरेढर उरटा। कोई कहटा सारा काठमाडौ ढुरे ढुक्खुन बा । एक घचिक पाछे धरहरा पुरा गिरगैल काना खबर आईल। महि ते विश्वास नै लागल तुरुन्त सुनके । दोसर जनहनके मोबाइलसे फेसबुक मे टुटके गिरल धरहराक फोटो हेर्लु तब पटियइलुं। पाछे फोटो सहित स्टेटसमे आई लागल बसन्तपुर, पाटन, भक्तपुर दरबार क्वायर पुरा ध्वस्त। यी सुनके मन आउर बेचैन हुगैल । एक ओर पुरान धरोहरके नाश हुइलक चिन्ता । दोसर ओर आपन आफन्तनसे सम्पर्क नै हुइना । चिन्ता सताई लागल। सबजने आपन आफन्त हे सम्पर्क करे लग्लाँ। मै फेन आपन गाउँ दाङ देउखर फोन करटुँ फोन नै लागल। के कसिन अवस्थामे बा योि समयमे जन्ना बहुट जरुरी  रहठ । फोन फेन चहलक बेला कहाँ काम लागठ जे । नेटवर्क पुरा बिजी हुगैल। सबसे चिन्ता महिहे दिदी ओ भाटुक लागे लगल । काकरे की उ दिन बिहान भरखर गाउँसे भैनेहे जापान के लाग बिदाई करे आइल रहिँट । पाटन भैनेक कोठम बैठल रहिंत। मै खाना खाके भेटे जैना सोचमे फे रहुँ । भुईचाल आके सेकल सकहुन फोन लगाउँ केक्रोमे नैलागल । मनमे आउर छटपट्टी लागे । का करू का करू हुगैल। मनमे भय ओ त्रास के बीच अर गरमन बनाके बाहरके माहोल बुझक लग पैदल नेगके मै ओ भतिजा अनिल मेन सडक पुग्ली। यहोर ओहोर देवाल सडकमे गिरल रहे। घर ठाँउ ठाँउमे चरकल बिल्गल । मनै हत्तर पत्तर आ-आपान गन्तव्य स्थान जइटि रहिँट । सडकमे एम्बुलेन्स, पुलिस गाडी पेपुपेपु साइरन बजैटी कुदटहे । एमुलेन्समे टे बिरामी बोक्लग देख्गैदौ रहे पिकअप भ्यानमे घाहिल बिरामी देखल यी आँख । 

बिरामी पुरा धुरेधुर रहिंट। ओस्टे रक्टेकिल घाहिलहे पिकअप मे लैजाइंट देखके मन छिया छिया हुगैन। सारा मनै घर छोरके बिच सछकमे आईल रहिँट। पुलिस अस्पतालमे फेन घाहिल बिरामी आइ लग्लाँ । यहाँ टे सुरुमे पुलिस ओ ओइनके आफन्त हे लन्लाँ। पाछे सर्वसाऊारणहे  फेन भर्ना करे लग्लाँ । केकरो कपार फुटल, केक्रो गोर, हाथ टूटल, केक्रो भुर निक्रल वटिन कहिँट माने लग्गु जाके हरे नै मिलल। 




समय दिन ठिक साढे १ बजटहे काका भटिज मन हिरगर बनाके दिदी भाटुनके जायजा लेहक लग बाइक लेके पाटन निकरली । डराडरा आगे बढटी गैली। भद्रकालीमे जाम रहे । त्रिपुरेश्वरसे जैना विचार तहे धरहरा हेरटी । तर ओहोर जैना डगर ब्लक कैले रहे । पाछे सिंहदरबार ओरसे गैली। सिंहदरवारके आगक मार्ग चिराचिरा विल्गल । थापाथली पुग्ली सडक टे कहुँमन्के फाटल कहुँ ब्रेकर हस उठल रहे । यी देखके बडा ताजुव लागल। पुल्चोक पुग्ली, मंगलबजार छिर्ना डर ​​लागटहे मने गोटगाट मनै बाइक लेले जाइतहिँट हम्रहु पाछे पाछे गैली । कृष्ण मंन्दिर परिर पुग्ली। उहाँ टे कृष्ण मन्दिरके आसपासके मन्दिर भग्नावशेषमे परिणत हुरख्लेरहे कौनो गिरे गिरे बिल्गे। अभिन धुर उड्ट्टी रहे । मनै उध्दारमे खट राख्ले रहिंत। कृष्ण मन्दिर परिसर भित्तर रेड अलर्ट कैलेरहिँट। किहु जाइ नै दिट। हम्रे बाहेर से हेरली। घुमे अउइया मनै ढेर परल अनुमान लगाइट । हमार चिन्ता दिदी, भाटु, विवेक भैनेक रहे । मनैंन से पुछि कोई कहे य वहोर ते पुरा गैल वा कोइ कहे थाहा छैन । आदर्श कन्या स्कुल्के पाछे बसाई रहिन मैनेक। मने भिडमे नजर लगाइन्ट लगाइन्ट भान्जक संघरिया मिलल टे कहल विवेक बैठना घर कुछ नै हुइल हो । तव ठोर चे मनमे शान्ति हुईल। वहाँ पुगटसम फोन सम्पर्क नै हुइ सेकल । ओठे रटिरटि फेन डंगसे आवाज आईल भुईया हिले लगल । पोल लस्स लस्स करेलागल। फेन डर लागल। हाली बाईक उठैली आपन कौठा महराजगंज ओर लग्ली। त्रिपुरेश्वर ओरसे घुमेबेर थापाथलीक मन्दिर ध्वस्त देख्लु। त्रिपुरेश्वरके शालिक के छाना ढरकल रहे। आगे बढली धरहरा जैना डगर बन्द रहे । युवा जमान मानव जंजिर बनाके धरहरासे वीर अस्पताल टक घाईते लैजैना डगर बनैटी रहिंत । कोई घाईते बोकटहिंट। ओहोर दुइठो टुडिखेलके गेट गिरल रहे ऊ गेटके तरे पुलिस पिकअप भ्यान डबल रहे। आहे भोटाहिटीमे दरबार स्कूल के अगिलका भाग पुरा गिरल रहे । दख्खिनके छाना गिरके जुत्ता पसल, बाइक क्षत विक्षत ओस्टे बिल्गे । रानीपोखरी क्षतिग्रस्त हुइल। ओहोर जन प्रशासन क्याम्पस के भवन ध्वस्त हुइल रहे । ई सबके तारा दृश्य हेर्टी महराजगंज पुग्ली ।




साझ ३ बजे ओर मैनेसे सम्पर्क हुइल । सक्कु जे सकुशल बटी कैह्के जनैला। मने सबजे पाटन बैठना हिम्मत टुटगैल रहिन। फेन दिदी भाटु, भैने, नतिनियन हे बाइकसे आपन क्वाटरमे लन्ना काम कैली। पराकम्पन आइना क्रम जारी रहे । मने आपन परिवार, आफन्त अक्केठन हुइली टे सबसे भारी आनन्द महसुस हुइल । सक्कुजे बाहर चौरमे गोन्द्री विछाके बैठली। सबके जलकल जिउ घर भित्तर छिर्ना केक्रो हिम्मत नै आइटहे । बिना छिलें काम नै चल्ना। मने खानाभित्तर पकाके बाहिर खैली । उ रात खुला आकाशमे  बिटल ।


आज लगभग एक महिना पुगे जाइता अभिन समय झटका मारल करठ। जल्कल जिउ मजासे निद फे नै परठ। मोर अफिस पुरान दरबार पुरै क्षति विक्षत बा । दोसर ओर तीन तला उप्पर अफिस सरल बा। माने जलकल जिउ अभिन डरैटी रहठ। मोर अनुभवमे अइसिन विपदके अवस्थामे धैर्यता नै गुमैना चाही। आपन आत्मविश्वास बढैना जरुरी रहठ । अपन ओरसे सावधानीहुइ पर्ना फेन आवश्यक विल्गठ । विपदमे अनावश्यक हल्ला ज्यादा फैलट हल्लक पाछे नै पर्ना चाही। अप्ने जहाँ जौन अवस्थामे आपन परिवारके  सम्पर्क मे रना ओटने जरुरी रहठ।


साभार- हरचाली त्रैमासिक


- शत्रुधन चौधरी

हाल: महराजगंज, काठमाडौ

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