जखौर तलुवक इतिहास
धनगढी उपमहानगरपालिका ७, स्थित जखौर तलुवा यी क्षेत्रके किल नाइहोके सिंगो जिल्लाके प्रतिष्ठा बह्रैले बा । आन्तरिक तथा बाह्य पर्यटखे रोजाइमे रहल यी तलुवाके उचित संरक्षण भर हुइ नाइ सेकल हो । धार्मिकस्थलके उचित पहिचान बनाइल तालके संरक्षणमे स्थानीय तथा राज्यसे ध्यान डेहे नाइ सेकल थप पर्यटकहुक्रनके रोजाइके स्थल जखौर तलुवा हुइ सेकी।
धनगढी बजारसे करिब ४ किलोमिटर पूरबमे परना यी तलुवासम पुग्ना कैलाली बहुमुखी क्याम्पसके डगरा ओ देवहरियाके डगरा प्रयोग करे सेक जाइठ । प्राकृतिकरुपमे निर्मित लग्ना तलाउके सुन्दरता कहलक प्राकृतिक सम्पदा ओम्ने खेलुइया चिरै चुरुङगी, फूला ओ निला पानी हो। उहीसे आगन्तुकके मनहे सजिले मोहित करे सेक्ना क्षमता राखठ् । करिब एकसय ३२ हेक्टर क्षेत्रफलमे फैलल तलाउ १५ फिट जत्रा गहिरबा । यिहीसे आघेक पूर्खाहुक्रे उ तलाउ ४५ से ५० फिट गहिराई रहल बटाइना कर लसे फेन अब्बे संरक्षणके अभावमे तलुवा भँट्टी गैल बा ।
जखौर तलुवा जैविक विविधताके हिसावसे फेन महत्वपूर्ण मानजाइठ्। यिहीसे आघे तलुवामे स्थानीय रानाथारु समुदायके महिला मच्छी मरना, घर लिपपोत करक लग माटी कहरना, गाई गोरुनहे पानी पिवाइना बाहेक अन्यरुपमे प्रयोग नाइ करगैल रहे। अब्वे तलुवाके संरक्षणमे स्थानीय ओ राज्यके कुछ लगानी सुरुहुइलपाछे तलुवा सफा ओ सुन्दर हुइल बा। तौन फेन आभिन तलुवामे लगानी कमजोर बा ।
ओकर संरक्षण ओ सम्बर्द्धनमे राज्यके ध्यान पर्याप्त पुगे नाइ सेकल हो। उ बेला पाटालो वस्तीके कारण तलाउमे तमान मेरके चराचुरुङगी, जीव पशु बैठ्ना करै। तमान प्रकारके जलचरके बास तलाउमे रहे । अब्बे तलुवाके लग्गे घनावस्ती बैठलपाछे जलचरहरु ढिरेसे बसाई सराइ करे लग्ले बातै । प्राकृतिक जंगलसे भरल ओ बीच भागमे खाली रहल ठाउँमे तलुवा बनल ओरसे ओकर सुन्दरताहे थप गजागर करले बा ।तलुवाके अवलोकन करेअउइया आगन्तुकहे उहिसे थप शितलता प्रदान करठ् ।
जखौर तलुवामे कमलके पत्ताके हरियाली बा। फुला फुल्ना करठ। फुलासे कमलके गटा विवाहा करठ ओ उ फलकेरुपमे प्रयोग हुइठ । जंगलके बीचभागमे अवस्थित तलुवाके पानी फेन जुर रहना ओ ब्राहै महिना तलाउमे फेन जम्न हुइल ओरसे जंगली जनावर, बाघ, हरिण, बंदेल, जंगली भैसी सम्मिलित जनावरके मजा विचरणस्थल फेन हो। रातके समयमे जंगली जनावर पानी पिए अइना ओ दिनभर उहे जंगलमे बासबैठ्ना प्रचलन पहिले आइल हो। मने वाक्लो मानवबस्तीके विकाससे जंगली जनावर तर्सना ओ तलाउ आँजर पाँजर कम विचरणमे अइना समस्या बहरटी गैल बा । तलाउहे कुछ व्यक्तिके स्वार्थपूर्तिके लाग प्रयोग करजैना ओ कमाउधन्दा चलैना स्थलकेरुपमे विकास हुइटी गैल ओरसे तलाउके सुन्दरता फेन घट्टी गैल बा ।
तलुवाके सुन्दरताहे कायमे राखक प्रचार प्रसारमे ओत्र ध्यान देहे नाइ सेकगल हो। सिमसार क्षेत्र रहलेसे फेन राज्यके नजरमे अभिन तलाउ महत्व पाइ नाइ सेकल हो। कैलालीके घोडाघोडी तलाउ सिमसार क्षेत्रके दर्जा पैलेसे फेन जखौर तलुवाहे समेत उ दर्जा डेके यकर संरक्षणमे राज्यसे उचित ध्यान डेहे परल । तलुवाके उचित संरक्षणके लाग तलाउ संरक्षण समिति गठन केकै ओकर संरक्षणमे लागे पर्ना आवश्यकता बा ।
ओकर लाग स्थानीय प्रशासनसे चासो देहे परना रहठ । मने संरक्षणमे आजसम पहल लेहल नाइ डेखजाइट । स्थानीयरुपमे तलुवाके संरक्षण ओ प्रवर्द्धन कैके पर्यटकहुक्रे भित्र्याइ सेक्लेसे यी क्षेत्रहे पर्यटकीय गन्तव्यकेरुपमे विकास करे सेकजाइ । स्थानीय रुपमे ढिउर युवा रोजगार पाइ सेक्ही ।
तलुवामे पानीहाँस खेलल् दृश्य मनमोहक लागठ । सारस, सीम कुखुरा, जलकुखुरा, नर्कट लगायतके चिरै पाजैठै । खेचही, तमान एकसय प्रजातिके मच्छी फेन तलाउमे बाटै। तलाउमे सबसे छोट प्रजातिके पानीहाँस फेन बाटै। जिहीनहे स्थानीय भाषामे हरिहाँस कहिजाइए। दिनभर तलाउमे पौडी खेलके अहारा खोज्न ओ साँझके तलुवाके आँजरपॉजर जामल घँसामे बसेरा बैठ्ना उ चराके संरक्षणका लागि फेन जुट्ना आवश्यक बा । स्थानीय शिकारीहुक्रनक कारण चीरै डरैना ओ अन्यत्र डेरा सर्ना व्यवस्था कायमे बा । तलाउ परिसरहे अब्बे वनभोज स्थलकेरूपमे विकास करल बा। चाडपर्व ओ अन्य समय फेन यहाँके स्थानीयहुक्रे वनभोज खाई जैना स्थलकेरुपमे तलुवा परिसरहे विकास करल बा । जंगलके बीच भागमे अवस्थित उ तलाउमे युवा युवती अश्लिल घृणित काम सुरु कैना करल ओरसे उ क्षेत्रके संरक्षण ओ धार्मिक विकास कैना फेन आवश्यक बा ।
वि.सं. २०६४ मे केन्द्रसे आके पुरातत्व विभाग समेत अवलोकन अध्ययन करले रहे । उ अनुसार तलुवाहे कैलालीके मजा तलो तलाउमध्येमे सुचिकृत करल फेन बा । मने तलाउके संरक्षण ओ प्रवर्द्धनके निम्ति ठोस पहल हुइ नाइ सेकल हो । कैलाली जिल्लामे अइसीन संयौ तलुवा बावै। उ मध्ये तेस्रो स्थान चौथो ठुलो तालमे जखौर फेन हो । यहाँके जैविक विविधता, प्राकृतिक सुन्दरतांके संरक्षण ओ संम्वर्ध्दन करे सेक्लेसे उहीसे हमर पहिचान ओ क्षेत्रके सुन्दरताहे थप चम्कैना भूमिका खेले सकी।
तलुवाके ऐतिहासिकताः
यी भेगमे रानाथारु ओ डंगौरा थारुणके बाक्लो बसोबास बा । तलुवाके अंजरपॉजर मुख्यतः रानाथारुनके पहिले बाक्लो बस्ती। उ बेला छोट पोखरी रहें, ओम्ने रहल पानीहे गाई गोरु, भैसीनहे पिबाइना काम प्रयोग करजाए। रानाथारु भाषामे गाई गोरुनहे पानी पिवाइक खोडल पोखरीहे 'अगौर' कहिजाइ । पहिले छोट पोखरीके रुपमे खोडल रलेसे फेन अब्वे तलाउके रुप लेहल ओ अगौरसे अपभ्रंस होके जखौर हुइल कैके कहा बा ।
यी भेगमे उ बेला माटिक भण्डा बनाइना कुमाल समुदायके मनै फेन बसोबास रहे । भाँडा बनैना क्रममे खट्हासे माटी निकरना ओ उहेक्रम लम्मा समयसम होके खाट्हा ढिरेसे तलाउके रुप लेहल भनाई फेन पूर्खाहुक्रनके बा। तलाउके आँजर पॉजर आभिन फेन तमान मेरके माटीके भाँडा उत्खनन् करलेसे भेटजैना हुइल ओरसे उ सम्भावाहे पुष्टि कैना करलके कहाइ बा ।
उबेलाउ तलाग रहलमे थारु परिवारके बसोवास। एकजने थारु महिला सुनके मुर्गनियाँ रहे कटि हुन । चर्नाक्रममे एकदिन मुर्गनियाके ताङग टुट गैल। थारु महिला ओकर घरेलु औषधि पिसके उनहे तलाउके छेउछोउके जडिबुटीके सहारासे मुर्गनीयाके घाउ ठीक कराले रही।
सिलौटामे पिसल जडिवुटी लगैना करल ओ उ सिलौटा ढिउर दिनपाछे उहेमे फेला परल बयोवृद्धहुक्रनके बुझाई बा ।
केक्रो भनाइमे अब्बे तलाउ रहल ठाउँमे पहिले वरवार थारुबस्ती रहे । पाछे, उ वस्ती तलाउमे डुबगैल । उ ठाउँसे एक परिवारके जोखन् ओ जोखनी नाम करल गोसियागोसिनिया कलि बच्ना सफल हुइल ओहुक्रनके संस्मरणमे पाछे उ तलके नाउ जखौर हुइल फेन किवदन्वती बा ।
साभार- हरचाली त्रैमासिक
- यज्ञराज यात्री
धनगढी - ७ देवहरिया, कैलाली
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