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फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१

 

फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१



फुलरिया साहित्यिक पत्रिका

प्रकाशक र कार्यकारी सम्पादक
संगम चौधरी
९८४८४८४०४३

पहुना सम्पादक
संगत कैलरिया

सम्पादक
शिला चौधरी

व्यवस्थापक
हिमाली पछलडङ्ग्या
हरिलाल सिरवार
रामचरण अजराइल
राजबहादुर हरचब्बा

सल्लाहकार
खेमराज चौधरी
गोविन्द चौधरी

ठेगाना
फुलरिया
साहित्यिक पत्रिका
पुनर्वास(२, कन्चनपुर

ब्लग

मुद्रक
सिद्धार्थ अफसेट प्रेस
धनगढी, कैलाली

मोल रु. २५ रुपिया

फुलरिया
अर्धवार्षिक साहित्यिक पत्रिका
बरस १ || अंक १||सक्कू अंक १ || साल २०८१


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


सम्पादकीय

फुलरियामे हमार पहिल पैला

फुलरियामे मेरमेरिक रंगीबिरंगी फुला फुलल रहठ । डौनाबेबरी, बेली, चमेली, गेंडा, गुलाब लगायत कैयो मेरके फुला फुलल रहठ । ओहेमारे सुवासफेन मेरमेरिक आइठ। लेकिन आझ हमरे एक्ठो फरक फुलरिया लेके आइल बटि अपनेनठन । जहाँ मेरमेरिक रचनाके सुवास लेहे सेक्जाइठ । इ फुलरियामे कथा, कविता, गजल, मुक्तक, संस्मरण, गीत ओ राहरंगी भरल स्वादसे मैगर आनन्द लेहे सेक्जाइठ ।

इ पैला हमार आझ जलम लेले बा । काल्ह जाके गोमहनिया फेन करि । घुसकरिया कर्टि नेंगे फेन सिखि । बस् नेंगे सिखठ सिखठ एकडिन जरुर डौरे सिखि । जिहिसे हमरे अपन पैला आकुर डुर डुर पुगाइ सेक । एकर लाग अपनेनके हाँठ पकरके, टेक्नी लेके, लगोरी ढैके साहारा डेहे परि । जिउमे टागट रहठसम मडडट कर्हि परि । गोभुम अठन्नी चवन्नी रहठसम साठ(सहयोग डेहे परि । हरेक पैलाके खटदु चहुँरक लाग जोस जाँगर लगैहि परि । इहिसे हमार पैला बिर्कुल आघे बहर्टि रहि ।

इ फुलरियामे फुला फुलाइक लाग हजारौं चेरियनके जरुरट बा । जबजब जरुरटके महसुस हुइ टबटब हमार आवाज अपनेनहे सुने परि । आ इ फुलरियामे लगाइल फुलामे पानी सिचाइ कर्ना, मलजल डर्ना, सेहार सुसार कर्ना सक्कुहु के बराबर जिम्मा बा । ओरौनीमे सक्कुहुन सैगर सम्झना ओ ओजरार भविस्यके मैगर सुभकामना बा ।


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


विषय सूची

पेज /शीर्षक /लेखक

पेज- ३
रसाइल करम चुहगैल
- सागर कुश्मी ' संगत '

पेज- ६ गजल
- रामचरण अजराइल
- बलराम चौधरी

पेज- ७ ढमार
चम्फा फुलवारके
- हिमाली पछलडङ्ग्या

पेज- ८
एकठो फुलरिया
- सनी हरचब्बा

पेज- १०
ख्रीष्टमस कलक का हो रु
- खेमराज चौधरी

पेज- ११
महटान अंगना सुनसान होगैल
- संगत

पेज- १२
पुरान सम्झना
- गोविन्द चौधरी

पेज- १३ गीत
- वीर बहादुर चौधरी

पेज- १३ गजल
- सन्तोष चौधरी

पेज- १४ राहरंगी
चलो साली
- संगम चौधरी

पेज- १५ माँगर
डुल्हिक गैना
- चम्फा चौधरी

फेज- १५ मुक्तक
- तेजबहादुर भुल

पेज- २० पेंडिया
पहिल भेंट
- संगम चौधरी

कथा

रसाइल करम चुहगैल

सागर कुस्मी 'संगत '


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


बुडि बुडि सडहिया आइल बा कह सुनके भिट्टरसे बुहिया निकरठ, टब डेखट, उँकवारीम् लुग्गक् मोट्री । मानो सचमुच ऊ कौनो सन्डहिया हो । टोर घर कहाँ हो रु कहाँ जाइटे बाबु रु बुहिया पुछठ । मै हस् पापीहे आझटक् यि समाजमे सोरहि लगाके बलुइया मनै जियल बटाँ । सोचके रोशनी आँखी मन्से आँश गिरे लगठिस् ।

रोशनी रोइटि रोइटि जनाइट् डिडि मोर घरडुवार कुछ नैहो । मै टे जिन्गीक् सहि डगर छोरके बहुट डुर आके भुलाइल यात्री हुँ । जे सय घरके डवारि डवारि भिख मँग्गी बन्के गहुँ । लेकिन अपन सहि घर चिन्हके फेन जाइ नैसेक्हुँ ।

ऊ सारा कहानि बट्वइटि जाइट् ( डिडि जब मै १७ बरसके रहुँ टे मोर भोज हुइल । डुइठो लर्का फेन जन्मलाँ। एक बरसके बाड मोर खसिके रंगबिरंग जिन्गीसे भगवान बहुत भारी अन्याय कैलाँ। माँगक् सेन्डुर हाँठक् लाल काइल चुरिया फुट गैल । महिन अपन बाँहो लेके स्वर्गके सुखके अनुभुटि डेहुइया मोर जिवन संघरिया नै रैहगैलाँ । अट्रा कहिके रोशनी फेनसे जोर जोरसे रोइ लागठ । टब बुहिया बाबु जिन रो कहट टे आँश पोछटि ऊ सुँक सुँक करटि बट्वाइ लागठ । हुँकार परलोक गैलोपर मनमे अट्ना भारि पिडा लेले जिवनके चित्कार हे मनभिट्टर डुबाके डिन गुजरटि रहुँ । करट करट छावा ७ बरस ओ छाइ ४ बरसके होगैलाँ । जिवनके आढार उहे लरकन मानके भगन्वक् ऊ अन्यायके पिडा खटियाइल् खट्राहस् हो रख्ले रहे ।

एक डिन हुँकार संघरिया प्रकाश मोर घर सुवर खोजे आइल । उहि हे मिनी बनाके खवा पिवाके पठैलुँ । टबसे मोर मन भिट्टर एक पुरुसके अभाव रहलहस् महसुस हुइ लागल । मने मने कोरा जिन्गीक् कल्पनामे डुबके एकठो रंगिन जिवनके फूलवारीया बनाइ लग्नु मै। प्रकाश फेन कुछ ज्याडे मोर घर आइ लागल । आब टे उहि मै अपन घर एक डुराट बैठाके पठाइ लग्नु और ओकर ओ मोर बिचमे जिन्गीक ऊ रंगिन फुलरिया पुग्ना सिरहि फेन बनगैल । टब हमार उपर दुनियाँ शंका कैके लंका जराइ लागल । लेकिन ऊ शंका नैरहे । सच बाट रहे । आब टे मै अपन निजि स्वर्गके टन जियल डाइक् टुवर लर्का बनैना फेन टयार रहुँ ।

यि बाट मोर भैया पटा पाइल टब महिन खोब सम्झाइल । डिडि टैं काकरे ऐसिन कर्डे ।

यि भैनेन्के टे कुछ ख्याल कर । एक टे बाबक् मैयाँ कैसिन रहठ जाने नै पैलाँ यि लर्का । टिहुँपर टैं छोरके जइबे टे यि लर्कनके हालट का हुइहिन् रु हाँ, कि लर्का पर्का नै रहटाँ, घरेम् जग्गा जमिन नै रहट टे डोसर बाट रहे । सम्पत्ति फेन टुहरिन्के जिनगीभर खाइ पुग्ना

बावै । और भैने फेन टे भारि हो चुक्ला । अइसिन समयमे दुनियाँ कौन नजरसे हेरि । ठिक बावै टैं टे चल जैबे लेकिन लर्का यि समाजमे का इज्जट लेके मुह डेखैहि । का यि टोर लर्का नै हुँइट रु का टोरमे रहना डाइक् मैयाँ ममटा नै होवै रु कि टोर लर्का डाइक् ममटाके छाँहिमे पलके समाज इज्जटके साठ कपार ठार कैके नेंगिट ।

अस्टेके भैया सम्झेटि गैल महिन । लेकिन मै ऊ सब ठिक भावमे सुनाइल कहानि हस सुन्टि गैलुँ । टरे मुन्टि लगाके भैया आघे कहटी गैल डिडि मै हाँठ जोरटुँ टैं मजासे लर्कन हे पह्रा, शिक्षिट करा । यि लर्कन कब्बो भाटुक् कमि महसुस हुइ जिन डे, और सत्यके साठ ि लर्कन जलम डेके बह्रा पहाके शिक्षिट कराके भविष्य सुखमय बनाडेहना अपन कर्तव्य पुरा कर, अपन सटित्व बँचाके भाटुक् सटित्व पर बैठ डिडि । टैं टे उल्टे उहे सटित्व गँवाइक् टन एक ओर डुइ लर्कनके जिन्गी अंढरिया राटमे छोरके डोसर ओर प्रकशवक् जनेवक् खुसि अछोरे जाइटे ्र सौटिनिया बने जाइटे ्र भैया सम्भाके गैल । टब मै मने मने सोचे लग्नँ । का हो यि समाजके नियम रु विढवा भर डोसर भोज कैके जीवनके वास्तविक सुख लेहे नै पैना रु लेकिन पुरुष भर जन्नि मुटि कल बाजा गाजाके साठ अविर पटाके उरैटि डोसर भोज करे पैना । ओ हमरे जन्निक् जाट भर विढवा हुइलेसे जिन्गि भर रंग बिरंगिसे डुर होके डोसर भोजके नाउँ टक लेहे नै मिल्ना रु अटा भारि अन्याय मै नै सहम् । ओ एकर विरोढमे मै उडाहरन बन्के डेखैम् ।

अस्टेके अनेक् बाट मनमे खेलैटि मै प्रकाशके संगे उहर जैना पक्का कैलुँ । और एक दिन राटके जब प्रकाश मोर घर आइल टब राटके डुनु लर्कन बहुट भारि ढोखा डेके खुडजलम डेना डाइसे पैलाँ, सायड यिहिसे भारि ढोखा जिन्गीम कौनो फेन नै रहिहिन् । जब मै प्रकाशके घर गैलुं टे, ऊ पहिलेक बर्कि जनेवाहे अक्को मजा नै माने लागल ्र काकरे कि ऊ जनेवा महिनसे कुछ छिपल रहे । प्रकाश महिन अपन प्यार डेके मोर जवानीसे खेलि रहल ्र मै फेन खुसि रहुँ । उहि पाके जो मोर सबसे भारि प्यास रहे । जब डुइ बरस बिटल । ऊ महिसे ढिरे ढिरे डुर होके डोसर लवनडिसे खेले लागल ्र जब मै पटा पैलूँ टे, कोइ हालटमे उहि नैलेहे डेम कहलूँ । टब प्रकशवा महिन पिटे लागल । कि टैं फेन टे केकरो सौटा बन्के ओकर सुख अछोरे आइल रहिस् कलेसे टोर उप्पर फेन सौटा ठप्लेसे का हुइ रु खास बाट टैं टे सुखाइ लागल फुलाहस् बुहाई फेन लग्ले । टुहिन डेखके महिन मजा फेन नै लागठ। टैं टे यि घरम्से निकरले ठिक बावै ।

ओकर बारम्बार उहे व्यवहार सहे नै सेक्के एक डिन घरमेसे निकर गैलूँ डिडि । एक लक्ष्य विहिन यात्रीहस् । आब भरखर बुझ्लुँ डिडि भैयक् कहल बाट वास्टविकटामे ऊ मोर जीवन और जवानीसे खेल्लक बहुट भारि ढोखा रहे ढोखा।।

जिन्गीक वास्टविकटा ओ सुख संघारक् टन प्रकशवक् बाँहोमे बाँन्ढके अपन जिन्गीक जौन फुटल करम रसैले रहुँ ऊ चुगैल डिडि, चुगैल।

अटा कहिके रोशनी महाँ नम्मा साँस फेरके टरे कपार करा लेहट् । टब बुहिया पुछठ् बाबु टैं अपन जिन्गीक वास्टविकटासे बहुट डुर जाके महाँ भारि गल्टि करले । मोर फेन टे एकठो छावा जन्मल टे अपने बिट्गला । लेकिन मै हुँकार सटित्व पर बैठ्के अपन छावाहे बरा डुख कैके पहेलुँ । बहैलुँ । आझ मोर छावा आँखी अस्पतालके डाक्टर बनल बावै । और आँखी विमारीनके सेवा कैके अपन कर्तव्य पुरा करटा । यि घर ओकरे सफलताके प्रतिक हो । बस उहे छावक् सफलटा डेख्के कबु कबु अपन बुहवासे सपनामे छावक् सफलटाके बाट बट्वाइहस् लागठ् । अटरे कहट कहट बुहियक् बोल ढोढरा जैठिस् । आँखी रसा जैठिस् । मने मने चिटाइटा अपन हुँकिहिन । अपन हुँकिहिन् । रोशनी बुह्रियक् मुह हेरटि रहिजाइठ् । अस्टेके रोशनीक् जीवन रसाइल करम चुहगैलिस् । रसाइल करम चुहगैल । रसाइल करम चुहगैल । ओराइल ।

(लेखक हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिकाके प्रकासक ओ प्रदान सम्पाडक हुइँट ।)



गजल
- रामचरण अजराइल


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


मिठ बोलके मैयँक डौंरीसे भर्लो ।
भरल जवानीसे ठँरियन ललकर्लो ।

हुँ अपन जवानीके सुग्घर रुपवासे, 
किहिनोसे मैयाँ किहिनोसे छन्पर्लो ।

आँखि, लजर ओ मन डुर बा टोहार, 
लग्गे ओर कोइ बा साँचटी मनमर्लो ।

जा जा बचैलो उ प्रदेशीक लाग, 
नैसेक्लो छुपाइ उ जोबन लुटडर्लो ।

चहले महिन रहो, हुइलो हुँ आउरके, 
मनके पोत्री नैखोल्के गुम्साके ढर्लो ।

टीकापुर - १, कैलाली


गजल
- बलराम चौधरी

मोर छुटीमुटी झोंपरी महलहस लागठ ।
बोटलके साहारम मन बहलहस लागठ ।

काम ढन्ढा कुछ् नाइहो याड कर्ना बाहेक, 
आँस पोंछूटी सबकुछ सहलहस लागठ ।

सुनसान जिन्गी बा अक्केली नेंगहुँ आब, 
मने टोहार सँग महिन रहलहस लागठ ।

खै का कमि कमजोरी होगैल मोर मैयाँमें, 
महिन टो कुछ नाइ कहलहस लागठ ।

जौन डिन टोहार मोर बीचमे डरार फाटल, 
उहे डिनसे यी मन मुटु डहलहस लागठ ।

जानकी- १ धर्मापुर, कैलाली


गीत

चम्फा फुलवारके ढमार
- हिमाली पछलडङ्ग्या


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


टेक: चम्फा रे घन मौरी गइलाल हाँठ छुअट फुलवा कुमुलाओइ हो ।

उलाराः
कौन फुला महिन महिनरे कौन फुल फुले पटनुकवा, कौन फुला फुले घने चम्फा फुले अमरिट फुले अनारी हो ।

टिरीया ट फुलै महिट महिटरे गुलरी फुले पट नुकवा डाखी डरिउना घने चम्फा फुले अमरिट फुले अनारी हो ।

कौन महिनवम बास बसन्तर घुमे कौन महिनवम आम अमेलिया,

कौन महिनवम चम्फा फुला फुले अमरिट फुलर अनारी हो ।

माघ महिनवम बस बसन्दर घुमे फागुन महिनवम आम अमेलिया । चैतक् महिनम चम्फा फुला फुले अमरित फुले अनारी हो ।

माघक महिनम बास बसन्तर घुमे फागुन महिनम आम अमेलिया,

चैतके महिनम चम्फा फुला फुले, गेंडा फुलल् छेटु नारीराम अमरिट फुले अनारी हो ।

फाफट:
टेक: छुटिमुटि टुमरी हुँ भर्यो हो नन्डि हुँ भर्यो हो । पाटिर रहैं करहिंया लेहङ्गा भुँइ डोलै हो ।

एक डमरु लेके जैबु डरजि घर एक डमरु लैके हाँ । सासु टन लेहङ्गा नन्डि टन चोली डिउरा टन खैलि हग्राइ लम्बि हो ।

एक डमरु लेके जैबु घर एक डमरु लैके हाँ। सासु टन घैला नन्डि टन ठिलिया डिउराटन गोलि गह्राइ लन्बु हाँ ।

- शुक्लाफाँटा-७ कन्चनपुर


कथा

एकठो फुलरिया
- सनि हरचब्बा

फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


एकठो सुन्दर शान्त फुलरिया रहे । पवित्र माया प्रेमले सजल जोन फुलरियामे जीवन रहे । वहाँ ना दुःख ना भुँख प्यास सब कुछ पुर्ण रहे । जोन फुलरियामे चारुओर हरियाली रहे फुला पशुपंछि चिरै चुरुङ्गा अडरिक अडरिक जीव रहिंट । सब जहनके बच्चे बरे मजा सम्बन्ध रहिन । उहे फुलरियामे एक जोरी मनै सृजल रहिंट । उइने एक डोसरहे बहुट मैयाँ करिंट संगे नेग्ना, संगे हँस्ना, संगे खैना उइनके अपन कना कोइ रहिन सिरिफ डुजे किल रहिंट । उहे फुलरिया उइनके बसेरा घर रहिन । ओइनके कुछ डारी चिन्ता नैरहिन मने एक रोज ओइनके छोटमोट गल्टिसे जिन्गि उजरगैलिन । ओनके कथाके ओरि असिक हुइठिन । सुरुमे बहुट बरस पहिले कुछचिज नैरहे । परमेश्वर किल रहिंट् । परमेश्वर हरेक चिज बनैना सुरु

कलैं । इ सक्कु चिज बनैना अपन बोलिके किल शक्ति बेल्सला । उहिनहे संसारमे रहल सुक्कु चिज बनैना ६ रोज किल लग्लिन ।

पहिल रोज परमेश्वर कलैं ओजरार होजा टे ओजरार हुइल ्र डोसर रोज कलै आकास बन टे आकास बनल ।

टिसरा रोज, परमेश्वर कलैं, “आकास के टरे रहल पानी एक ठाउँमे जम्मा होस् ओ ओबाइल भूमि डेखा परोस् । “परमेश्वर ओबाइल भूमिहे पृथ्वी कलैं ओ जम्मा रहल पानीहे टलुवा, लडिया ओ समुन्डर कलैं । ओ परमेश्वर घाँस, फूला, रुखुवा ओ पृथ्वीम रहल रुखुवा बनैलैं ।

चौठा रोजमे, परमेश्वर कलैं, ूवहाँ आकासमे ओजरार होस १ “असिके परमेश्वर सूर्य, चन्द्र ओ टोरैयाँ बनैं ।

संसार पूरा हुइल मने उहाँ कौनौ सजीव प्राणी नै रहिट । पाँचौ रोजमें परमेश्वर कलैं, “समुन्डर जम्मा जीवित प्राणीनसे भर जाए, पृथ्वीमे आकाशमे चरैचुरुङ्गी उरिंहि । “परमेश्वरके कहल अनसार मच्छि ओ चिरैं वहाँ रहिंट ।

छैटौ रोज, परमेश्वर पृथ्वीमे रहल जम्मा प्राणीनहे बनैलैं, टमान मेरके परानी जोन हम्रे डेख्ठि । टब परमेश्वर मनैन बनैला । नर ओ नारी बनैलैं । इ थरुवा मेहवहे विशेष प्रकारसे बनैलैं । परमेश्वर ढर्टिक् माटिसे आदम कनौ मनैयाहे बनैलैं । तब परमेश्वर आदमहे निन्द्वाके ओकर करङ्ग निकारके हव्वा कना ओकर जन्नि बनाडे । असिके बनाके परमेश्वर हेलैं ओ बरे सोहावन जोर्या डेख्लैं । आब डुनु परानी ठरुवा मेहर्वा बनगिलैं ।

जब परमेश्वर अपन बनैलक् सक्कु चिज हेर्नै, उ बरे सोहावन हरे साहै । उ फुलरिया बरे सोहावन रहे जोन फुलरियामे उहे ठरुवा मेहर्वनके बसेरा घर रहिन । मने एकरोज उहे फुलरिया छोर्के डुनुजहन निक्रे पर्लिन ।

काकरे कि उइने पाप कैमर्ले रहिंट । उहे गल्टिक् कारन उ फुलरियामे असान्ति छागैलिन । परमेश्वर उ ठरुवा मेहर्वाहे ओइनके पापसे सारा दुनियाँ खराब ओ मृटु फैलनाके बारेम बटैलैं । परमेश्वर ओइनहे इहे पापके मारे संसारमे रोग बेराम, दुःख कष्ट कबुनै निप्टि जस्टक सबचिज बनागैलाँ ओस्टके एक रोज मरजैहिं कहलैं ।

उ ठरुवा जन्नि पाप कैमर्ले रहिंट मने परमेश्वर ओइनहे अभिन फेन बरे मैयाँ करिन । अपन बनाइल मनैन पर बरे प्रेम करिंट । उहे डुजे किल रहिन मनै कना । उहे थरुवा मेहर्वाके एकठो बरे मजा खबर रहिन । परमेश्वर अभिन ओइनहे मैयाँ करिन ओ ओइने पाप कैमारल रलेसेफेन अपन लर्का बनैलैं । परमेश्वर उ ठरुवा मेहर्वा उ सुन्दर फुलरिया मनसे निक्रे पर्लेसे फेन अककेलि नैछोर्लिन । परमेश्वर लगातार उनके हेरचाह करलिन ।

एकर अर्थ परमेश्वर उ ठरुवा मेहर्वा पाप कैनासे पहिले जस्टे आवश्यक परल सक्कु चिज डिन ओसहरके डेटि गैलिन ओइनके लाग लुगरा बनाके घलाडेलिन । काम कैके खाइ सेक्ना आशर्वाद डेलिन । डु प्रानि ढर्टि कोर्के अन्न उब्जनिके काम करे लग्लैं । काहेकि पाप हुइलक् मारे ओइनके अधिकार हेरागैल रहिन । परमेश्वार जनैले रहिन कि जोन माटिसे बन्ले उहे माटिक् उब्जनि खैबे ओ अन्टमे उहे माटिम मिलजैबे ।

असिके उ डु परानीन ओइनके मेहनट अनसार खाइक लाग असल असल खैना चिज डेलैं । पियकलाग सफा जुर पानी रहिन । परमेश्वर उइनहे सन्तान जल्मैना आशिर्वाद फेन डेलिन । उ ठरुवा मेहरुवा छाइ छावा फेन जल्मैलाँ । असिके एक्ठो सुन्दर सान्ति परयार परमेश्वरके सृष्टि मैटि जिगि गुजारे लग्लाँ ।

-पुनर्वास- २ अमरहिया, कञ्चनपुर



लेख

ख्रीष्टमस कलक का हो ?
- खेमराज चौधरी


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


ख्रीष्टमस हन आबक् समयम् ढेर मनै हुक्र एकठो टिहुवारके रूपम केल मनैना करल पाजाइट्, तर ढेर मनै हुँक्र बरे आनन्द के साथम् ख्रीष्टमस मनैलक् फे पाजाइट् । बरे आनन्द करे साथ ख्रीष्टमस मनैना के कारण जो मनै हुँ। बाइबलके लुका २स्११ पद अन्सार जहाँ ख्रीष्ट प्रभुके जलम् हुइल बयान करल बा । ख्रीष्ट प्रभुके जलम् उत्सव हे ढेर मनै बरे आनन्द पुर्वक ख्रीष्टमस मनैना कर्नै, काहेकि ख्रीष्ट प्रभुके जलम् उत्सवहे मनै बरे आनन्द पुर्वक जलम् उत्सवके रुपम् मनैठ । काहेकि लुका २ स् १० पद म स्वर्गदुन आके मनैहे बरे आन्दके सु(समाचार सुनैलैं उ बरे आनन्द के सुसमाचार लुका २स्११ पद अन्सार ख्रीष्ट येशु प्रभु मानव जातिनके लाग मुक्तिदाता के रूपम जलम् लेहल रहिंट । उहे मुक्तिदाता प्रभु येशूहे विश्वास करल मनै बरे आनन्द पुर्वक ख्रीष्टमस ९ ख्रीष्ट जन्म उत्सव ० बरे आनन्द पुर्वक मनैना कर्टें । ओ जोन मनै हुँ इ बाट नैबुझके ख्रीष्टमसहे टिहुवारके रूपम केल मनैठ हुकनफे ख्रीष्ट प्रभुहे अपन मुलीदाताके रुपम विश्वास कर्ना आवश्यक बा काहेकि जे जे उहाँहे विश्वास साथ ग्रहण करठ ओइन सक्कुन उद्धार मुक्ति डेठ ।

उह ओरसे जे उहाँहे विश्वास करि ओ उद्धार मुक्ति प्राप्त करिकटि यह द्दण्द्दद्ध म्भअ द्दछ के अइटि रहल ख्रीष्टमस के पावन अपसरम सक्कु जहनक् घर परिवारम उद्धार मुली प्रेम, आनन्द, मेलमिलाप, सुःख, शान्ती समृद्धी आओस कटि ख्रीष्टमसक शुभकामना ब्यक्त करटुँ। शुभकामना ।

- कृष्णपुर- ३ देखतभुली, कन्चनपुर




कविता

महटान अंगना सुनसान होगैल

छुनछुन मंजिरक् छन्कार घेल्टुङ्ग घेल्टुङ्ग मन्डरक् टार ठुम्मुक ठुम्मुक् पुठ्ठा डुम्कैना उलर उलर मन्डरा बजैना उह हेरी,
महटान अंगना सुनसान होगैल ।

डेहुरारीक् खेखरी मैयाँ पाटा मनिक जोग्या बभ्ना मरुवा मनिक् भेर्वा डेंउटा छाँकी बुडी चर्हाई छुटके फुरेसे,
महटान अंगना सुनसान होगैल ।

महटान बुडी गोरी बने छोरडेली महटान बुडु छट्री बिने छोरडेल मोहिन्याँ काकी गीत गाइ छोरडेली नचुनियाँ भौजी मंजिरा बजाइ छोरडेली जट्टीके आझ,
महटान अंगना सुनसान होगैल ।

बर्का डाडु मन्डरा बजाइक छोरडेलैं घरे काम करूइया कोइ नैहुइन गोरू भैस हेरूइया कोइ नैहुइन बर्कान बुडु अक्केली ढन्ढा करट करट अँटिया गैलैं फुरेसे,
महटान अंगना सुनसान होगैल ।

अइ मोर्हिन्याँ काकी
अइ नचुन्याँ भौजी अइ मन्डरिया डाडु
सक्कु जे बुडि बुडु डिडि बाबु आब, फेनसे गाउँ चैनार कैना बा सखिया, झुम्रा, हुर्डुङ्वा
पक्डोंइह पक्डोंइह मन्डरा बोलाके झाल मंजिरा कस्टार छन्काके
सक्कुहुन राहरंगीत कराके गाउँ, घर, अंगना चम्पन कराके फुरेसे,
जागी आब
काहे कि
महटान अंगना सुनसान होगैल ।

फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१

- संगत

कैलारी- ८ डख्खिन टेंह, कैलाली



संस्मरण

पुरान सम्झना
- गोबिन्द चौधरी


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


महि बिटल दिनके बहुट सम्झना बा । जब मै १५ वर्षके रहलमे एकठो लदअदक कना संस्था रहे । जेकर अगुवाइ हरि नेपाली सरके रहिन । उ बेला हम्रे बरे उत्साहित रहि । खास कैमोर जीवन प्रभु बरे अचम्म टरिकासे काम करिंट ्र मै लगायट मोर चर्चके जवान ओइने ख्रिष्टमसके शुभकामना बँट्टि क्यारल गित गैटि टमान ठाउँमे पुग्लि ।

टबपछे समय बिट्टि गैल ओ युवा जागृति संगती कैलाली कञ्चनपुर संगतीके अध्यक्ष पदमे महि जिम्मा मिलल । उ बेला युवा जागृती संगतीसे टमान ठाउँमे युवा सम्मेलन १ दिनसे ३ दिन सम्मेलन कैना मौका मिलल । बहुट उत्साहित कार्यक्रम होए । युवा संगतीसे बहुट जवानहे प्रभुमे उत्साह मिलल रहिन । प्रभुके राज्यमे उत्साह नैपाइल यूवायूवतिनहे उत्साहित करैना, आशा विहिन हुइल संघरियन आशा डेना, सु( समचार नैसुनल संघरियन सुसमचार सुनैना, जोश नैपाइल यूवायूवतिनहे जोसिलो करैना उद्देश्यसे स्थापना हुइल यूवा जागृती संगतीक् स्थापना २०६९ सालमे हुइल रहे । इ यूवा जागृती संगती एकठो स्वतन्त्र संगतीक् रुपम स्थापना हुइल बा ।

शुरुम ४ ठो मन्डली मिलके सेवा परगा सर्टि प्रभुक् आशिषसे हाल आके कैलाली ओ कन्चनपुर लगाएर बहुट मण्डलीक् जवान संघरिया मिलके टमान ठाउँमे प्रभु येशूक् बारेम युवा(युवतीन् जोशिलो करैना मेरिक यूवा जागृती सम्मेलन तथा सेभिनार कार्यक्रम कर्टि
आइटा ।

एक रोजके बाट हो युवा संगतीसे एउठो किटाब “युवा जागृतीू कना छपइ गैलमे हमार सनि चौधरी सर से संगे राट राट मोहराइन छापाखानामे गैलक् पल अभिन ताजा बा । उ समयके जोस प्रभुम बहुट रह । जस्टे जोए ओस्टे काम फेन होए रात भर भर ख्रिष्टमसके शुभकामना कम्प्युटरमे मिलैना काम हो । अब्बा फेनसे १० वर्ष पाछे साहित्यिक फुलरियामे अपन सस्मरण छपाइ पाइलमे बरे खुशि बटुँ । ओ अभिन फेन ओसहे जोश आके युवनमे फेन होस कना मै प्रभुक् संग प्रार्थना कर्टि यहे ख्रिष्टमस तथा नयाँ बर्ष द्दण्द्दछ के शुभ कामना डेना चाहहुँ ।

गोदावरी- ८ फकलपुर, कैलाली



गीत
- वीर बहादुर चौधरी


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


पत्रुस डाइले जालै हान्यो जालैभरी माछा २
मुक्ति पाउन सबैजना विश्वास गरौं आज २

( बैनी हो क्रुसको छाँयाले उद्धार पाउछौं ख्रिष्टको मायाले ) २
जालै भरी गाछा भए च्याटने भो तानेर, विश्वारा गरौ उनै माथि यी सबै जानेर ) २

( दाजु हो क्रुसको छाँयाले .... हामी सबै उद्धार पाउछौं खिष्टको मायाले ) २ पत्रुस दाईले सहयोग गर्न अर्को नाव बोलाए, नाव भरी माछा देखि ती सबै तोलाए ) २

( काकी हो क्रुसको छाँयाले पाप, क्षमा, मुक्त पाउँछौ ख्रिष्टको मायले ) २
पत्रुस दाई दंग परे येशुलाई हेरेर उनी पहिलो चेला बने यी सबै छोडेर ) २

(सुन्नुहोस् सबै जनाले हामी स्वर्ग जान पाउँछौ खिष्टको मायाले) २

महिमा चर्च, धनगढी, कैलाली

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गजल

सन्तोष चौधरी


मोर अस्तित्व मोर मान्यता डाबल बेला ।
टुँ सुट्ट्टे रहो सारा दुनियाँ जागल बेला ।

कैसिक पैबि अधिकार आदिबासी हम्रे, 
डुस्मन लोग सिमा किचुल्के नाघल बेला ।

इतिहास साँची बा हमार भुमिपुत्र थारुके, 
आझ टुरहे नैमान्ठो इतिहास मानल बेला

भासन कर बरवार बरवार विकासके यहाँ, 
जन्तन ठग्टी राष्ट्रियताके माला घालल बेला ।

नारा जुलुस बन्द हरताल हुइल टब्बु फेन, 
कौनो सुनुवाइनैहुइल अधिकार मागल बेला ।

- बेलौरी- ५ भकुन्डा, कन्चनपुर




राहरंगी

चोलो साली
- संगम चौधरी

साली मन नै पर्ना साइड कमे मनै हुँहि । साली नाता लग्तिकिल खुशि नै हुइना मनै साइड कमे हुँहि । थारुनके समाजमे साली नाता बरे चर्चिट ओ सुहावन बा । अपन गोसिन्यासे छोट अथवा गोसिन्यक बाबू लग्ना हुँकन सालि कहिजाइट । ओरे बाट ठरिया हुँ बठिन्या हुँकन चलैना खेल्वार कर्ना बेला फेन साली कहिल सुनजाइट । ढेर जसिन थारु गित गाइबेला साली भाटु नाता बनाके गित गैना ओ रमैलक डेखजाइट ।

साली भाटु नाट बनाके बोल्ना फरक मेरिक रमाइलो हुइना ओ बोल्ना सहजिलो डेख जाइट । ठरियन किल साली कना नाट पर्लसे खुशि हुइना नै होके बठिन्यनफे भाटु कना नाट पर्लसे बरेजोर खोल्वार कर्ना ओ खुशी हुइल डेजाइट । भोजकाज म ढेरजसिन साली कहिके चलैना खोल्वार करल डेखजाइट ्र साली कना नाट साझा नाट जस्टे फेन हुइल बा । को बठिन्यन खोल्वार कर्ना मन लग्लसे साली कहिके बोल्कर्लक् पाजाइट् ।




साली भाटु नाट सुहावन हुइलक मारे फेन हुइ ढेरजे मन परैरौं । साली भाटु सैना बनाके युट्युबमे थारु गित फेन ढेर सार्वजनिक हुइल बा । पहिलहिं से साली भाटुक् सैना बनाके पुर्खान मैना, सजना, ढमार, छोक्रा, झुम्रा, हुरडुंग्वा नाचेम साली भाटुक सैना बनाके गित गाइल सुनजाइट । उहे मारे हुइ साली भाटुक् सैना बरे सुवान लागट ।

आजसम युट्युब म साली भाटुक गित ढेर आगैल बा । अस्टके सालि भाटुक सैना पारल गित युट्युब न्ज् ःभमष्ब म आइल बा । बिस्नु थापा सरगमके शब्द संगित म चलो साली बोलके गित म बिवस ओ सुनिताके जोरडार भुमिका डेखे मिलट् ।





गीत
डुल्हिक गैना माँगर
- चम्फा चौधरी

के मोरे रोवँइ रे ओनटी ना कोन्टी रे, 
के मोरे रोवँइ सभा बैठके ।
के मोरे रोवँइ डोलिया ओंघटके, 
केकर जियरा आन्डे ॥
मयरि मोरे रोवँइ ओनटी कोन्टीरे,
बाबा मोरे रोवँइ सभा बैठके ।
डाडु मोरे रोवँइ डोलिया ओघटके ।
भौजिक् जियरा आन्डे ॥
के मोरे डेवँइ अनढन सोनवा रे, 
के मोरे डेवँइ लोटाझाँरी रे ।
के मोरे डेवँइ चह्ननक घोरिला, 
के मोरे डेवँइ माहुर गाँठे ॥
मरि मोरे डेवँइ रे अनढन सोनवा रे, 
बाबा मोरे डेवँइ लोटाझाँरी रे ।
डाडु मोरे देवँइ चह्ननक घोरिला, 
भौजि डिहल माहुर गाँठे ॥
टुटी जैही मोर अनढन सोनवा रे, 
फुटी जैही लोटाझाँरी रे।
मरिहरि चौहि चह्ननक घोरिला,
छुटि जौहि माहुर गाँठे ।

उठल डोलिया पुरुब मुहकरैं
बहिनी छोरल भुमकार रे।
डेहरिक गोराटर घुंघरु बिसरगै, 
मयरि मोरे डेहो समझाइ ॥
उठल डोलिया पुरुब मुहकरै रे, 
पुरुबमुहकरैरे,
बहिनी छोरल भुमकार रे ।
डेहरिक गोराटर पँयरि बिसरगै, 
मयरि मोरे डेहो समझाइ ॥
उठल डोलिया पुरुब मुहकरै रे, 
बहिनी छोरल भुमकार रे ।
डेहरिक गोराटर विछवा बिसरगै, 
मयरि मोरे डेहो समझाइ ॥
उठल डोलिया पुरुब मुहकरै रे, 
बहिनी छोरल भुमकार रे ।
डेहरिक गोटर कारा बिसरगै, 
मयरि मोरे डेहो समझाइ ॥
उठल डोलिया पुरुब मुहकरै रे, 
बहिनी छोरल भुमकार रे ।
डेहरिक गोराटर सुटिया बिसरगै, 
मयरि मोरे डेहो समझाइ ॥

- कैलारी - ८ डख्खिन टेंही, कैलाली




मुक्तक
- तेजबहादुर भूल

बिछोरके पिर सहके जिए सिखहुँ,
पिरबेठा बाइक लग पिए सिखहुँ ।

कहाँसम रुइना हो सुखागिल आँस, 
फाटल इ हिरडाहे सिए सिख ।

- कैलारी(२ रामपुर, कैलाली


पेंडिया - पहिल भेंट
- संगम चौधरी


फुलरिया साहित्यिक पत्रिका अंक -१


जार घाम, टे कबु बर्खक झरिमे ! टोहार सम्झना उहुँ! बैठल फुलरियामे चिटैटि नेंगेबेर बटवाइल टोहार जिन्गिक भावना, बैराग लग्टिग उ सजना, मैना, ढमार उ मागर टे आउर आँखिक् पल्कमसे टपर टपर आँस चुहजाइट् ! कत्रा सुहावन फुलरिया ?

कखौरिटिर डाबल टोहार सिंगारके मोटरि, टुहाँर हाँठक् चुरियक् छन् छन् पैचुरिक् आवाज उ सुहावन फुलरिया उँहुँ! गल्टक् लेहँङ्गा, कचौटि काटल् चोलिया, उ फुन्ना लागल झबन्ना ओ कंन्ढमसे कस्निम् खोसल अघरान फुरफुर फुरफुर उरैलक् उ फुलरिया ?

घिल्टुङ्ग घिल्टुङ्ग मन्डरक् टारेम्, पुट्ठा डुम्कैटि ठोप्रि बजैटि फुडुक् फुडुक् कुड्गलक् उहुँ! मै घरक मोकासो क्याके हेर्नु रु एकओर झाल मजिरा कस्टार बजुइया पट्निपाँटके डेख्नु । ओइनके जिवनिओर दयान गैलस भिटा ओंगठ्के सम्झनु पौलिम पौवा चुट्रेरेम चप्टल भेगुवा उहे पुस्टा उरैटि कुड्गटि छोक्रा, झुम्रा, हुरडुङ्गवा ओ सखिया नाचेम उलरलक् कत्रा सुहावन फुलरिया ?

घरक् दुरिम चहुँरके चारुओर चिटैनु पघरि लागल थारु बस्टि उहुँ! एक पाँजर पानी भर्ना घटुवा, उहे घटुवामे टर्नि ओ बठिन्यनके बगाल हँस्टि फोहैटि ठेक्नेम् मुन्टिम् गगरि ठिलिया बोक्ले! ओइनके उ मैयाँ प्रेमके बाट ओनैटि पंजरि गुड्गुडाइ लागट् ? जारक् महिनम् पस्गा अगोर्ले ओ घामक् बेला सिट्टर छहुँरिम् जिन्गिम् भोगल टिट्मिट् बट्कोहि असिन सुहावन फुलरिया ?

टोहार अम्रा खोप हेर्नु! रोज अंगनम् बेंराइल घारम् बैठल् बटिया हेरु ? घुरौरम् चहुँरके लेरिउच्याके हेरु ? टोहार अखोर करल अटवा ओर उलिट्के हेरु! जाट्टिके टोहार बिना फुलरिया सुनलागे रु घरक चरुवामे गंछ्याइल डोना पटरिक् झिरा, मकै, लस्नक् झोंठा भुलाइल टोहार हरचाली हेर्टि हर्टि सपनाइ लागुँ ! उ रंगिन सपनामे केवल हुँ रहो । कटना सुहाइल लागे उ फुलरिया ?

फुरेसे भिन्सरहि उठ्के टुहिन छाम्हुँ ! अपन आजा आजी, बुडि - बुडुनके चिन्हा भौंका छिट्वा बोले आलो कि रु फुरेसे टुँ अपन आजि बुडिनके सोल्हासिंगार घल्ले आगैलो कि ?

नाकटि सोचलसे ढेउर संपरके आइलो! अंढरिया राटिक जोग्नि हस, भिन्सरिया टोरैंया हस, सकारेक् डँडुर घमौनि हस ?

फुरेसे हुँ नहर खेल आइल लौलि हस ढेरे पहुरा लेके अइलो ? ढिरेसे टुहिन सुहरैटि टोहार रुपरंग हेर्नु! गंछ्याके ढारल टोहारे पहुरासे फुलरिया अटना सुहावन  ?

अस्रा लगहो आप अंक २ मे भेंट होप ।




 

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