उ रात || U Rat

उ रात || U Rat

 "इ कथामे लवन्डा लवन्डी प्रेम कर्ठैं मने पाछे जाके लवन्डा लवन्डीके सम्बन्ध टुटल बिल्गाइठ यम्ने रमेश ओ रेश्माके गार्ह प्रेम कहानी बा ।" 💘💘💘




सारा मनैनमे आनन्ड छाइल रठिन । घर अंगना पटङ्गसे सजल रहठ । गीट बाजा बोल्टि रहठ । कोइ नाचट टे कोइ फोहैटि एहोर ओहोर घुम्ठैं । झिकिर मिकिर बिजलि बर रहठ । लवन्डा लौवन्डि अपन अपन संघरियनसँग भुलल रठैं । उहे भोजहा घरसे रेस्माहे भोजहा नेउटा गैल रहिन । रेस्मा उहे भोजहा घरक अंगनामे मन मर्ले कोनम अपन लर्का लेके बैठल रहि । अन्ढरिया राटमे भोजहा घर चिकमिक चिकमिक बिजलि चारुओर लगैलक कारण बरे सुहावन डेखा परठ । सबजे रमठै मने रेस्मा कोनम लर्का लेले कवाइल रठि । रेस्मा हलिहलि चुन्निले आँस पोछ्ठि । सायड रेस्माहे अपन उ डिनके याड आइल हुइहिन । याड काकरे नै अइहिन कबु बिस्राइ नै सेक्ना घटना जिन्डगीमे घटे पुगल रठिन । कोना मे रहल बच्चाके अनुहार हेर्टी, बच्चक अनुहार सुहरैटी रेस्मा उहे रमेश हे सम्झे पुग्ठी जेकर बच्चा कोनामे खेलटहिन । उ मासुुम बच्चाहे का पटा मोर बाबा के हो कैक । टर रेस्मा बच्चा हे हेर्टी रमेश के ढोखा हुंकार नक्कली मैया के खेल झुठा बाचा बार बार रुवाई पुग्ठिन । 





रेस्माके रमेश से पहिला भेट बस मे हुइल रठिन । रेस्मा अपन डिडिक गाऊ संघर्यक भोजमे जाई टहि । रेस्मा बसमे चहुर्ठी टर बैठना सिट खाली नैरहिन । उह बेला अन्जान कबुना डेखल ना जानल रमेश अपन बैठल सिट डेठिन, रमेश के इ चालसे रेस्मा हे अचम्म लागटहिन । रमेश सिट मसे उठलै ओ मुस्कुरैटी रेस्मा के आँखी मे आँख मिलैटी कल पिलिज यहाँ बैठो ना । रेस्मा इन्कार कर्टी कलि नाई रहनडेऊ ठिके बा मोर कुछ डुर सम केल जैना बा पुगजैम । टर रमेश रेस्मा हे बैठाके छोरलै । रेस्मा सिट मे बैठली ओ हुकार मनमे कहोर कहोर गुडगुडाई हास लगठिन । रेस्मा रमेश हुकार अनुहार मे हेर्टी कठि ढन्यबाड । रमेश मुुस्कुरैटी कठै ढन्यबाड टे मै टुहिन कहे पर्ना हो मोर बाट मान डेलो । 


रेस्मा हुकिन रमेशके उ बोली सुनके अचम्म लाग टहिन । कबु ना डेखल ना चिन्हल टब फे चिन्हल जसिन बाट करटहिट । रेस्मा ओ रमेश अपन अपन मनक बाट सुरु कर्ठै । रेस्मा जब अपन डिडिक गाँउक नाउ लेली टे रमेश पच्चसे कह मर्लैै मै फेन टे उहे गाउँक हुँ । रेस्मा ओ रमेश के परिचय उहे बेला हुइगिल । डुई घण्टा के डगर बिटलग पटैनै पैठा, छोटी समय के मिलन टर बरे गहिर मैया होगिल रहिन डुनु जहनके । 




रेस्मा के जिन्डगीमे असिन पहिले कबु नै हुइल रहिन । पहिलचो असिन हुई पुगल रहिन । छुट्ना मन नै होके फेन डुनु जहनहे फे छुटे पर्लिन । डुनु जे बिडाई के हाट हिलैटी अपन अपन डग्गर लगठैं । औहोर रेस्मा के भाटु सब कुछ हेर्टिटी रठिन । लेह लाइल रठिन रेस्मा के भाटु । जब रेस्मा भाटुक मोटर साईकलमे बैटठी टे भाटु खेलवार करे लग्ठिन । का हो साली साह्रु बनाइटो का । भाटु से साली फे कम नाही रेस्मा फे खेलवार कर्टी कठिन हाँ टे काहुन औरे डिन डेख्बो मोर भोज कैक भाटु से गफ मर्ठी ।





रेस्मा ओ रमेश के फोन मे बाट चल्टी रठिन । ओहोर संघर्यक भोज डुई डिन बाँकी रहगिल रहिन । रेस्मा रमेशके मैया मे हेरागैल रहि खाना फे मजा से नै खैना । डिडि कहिट रेस्मा टै खाना काजे नै खैठै हुँ । कहिट टे अनेक बहाना बनैना करिन । भोज के डिन फे आजैठिन । उहे भोज रठिन रेस्मा ओ रमेश के मैया के सुरवाट हुई ठिन । भोजेम रमैना से ज्याडा रेश्मा रमेश से रमैटी रठी । जीन्डगी मे पहिलचो उ खुसी छाईल रठिन । भोजभार रेस्मा ओ रमेश संगै रठै । रेस्मा डुलहिक संगे ओ रमेश डुल्हक संगे । डुनु जे एक डोसर के नजर मे रठै । खुसीक बाहर छाइल रहट उ भोजहा घर । चारु ओर सजि सजाउ रहट भोजहा घर । ओजरिया राट बिजली से झिकिर मिकिर रहट भोजहा घर । उह ठाउँ म उह घर क अगना मे सारा जे नाच नाचके रमैटी रठैं। उहे राट रेस्मा ओ रमेश ओजरीया राट मे जोन्हया ओ असंख्य टोरैमाके सामु बाचा कसम खाई पुग्लै । रेस्मा रेमेशहे उह बेला अपन सारा कुछ सौप डेली । डुनु जे एक डोसर के माया मे हेराई पुग्ठै । जिन्डगी भर एक डोसर हे अस्टके साठ डेना बाचा कर्ठै । रेस्मा रमेश से पुछना करी रमेश टु मही कत्रा माया कर्ठो हुँ, रमेश जोन्हया ओ टोरैया के कसम बा जस्टक यी टोरैया ओ जोन्यहा सडियो से एक जस्टै बा ओस्टै मोर मैया फे पली रही । रेस्मा मै टुहिन बहुट मैया कर्ठु ओ कर्टी रहम मुना डिन सम । टुहिन से अलग हुईम टे केबल मृट्यु पाछे । कना करिट रमेश ।


रेस्मा ओ रमेशके मैया के सिलसिला चल्लक डुई टिन बर्ष होगिल रहिन । रेस्मा ओ रमेश से जीन्डगीमे भारी सपना सजैले रहिट । हम्रे भोज करब और हमार भोज फेन ढुमढाम के संग हुई । ठुलाबरा मनै आर्शिवाड डिहि । ढेउर संघर्यन से भेंट हुई । हमार जोरी सुहावन हुई । रेस्मा यी सारा सपना जिन्गीम सजैले रठी ।






एक डिन रमेश रेस्मा है बलैठैं । रेस्मा सोच्ठी सायड आप हमार भोजक डिन लग्गे आगिल बा कैके । टर उ डिन रेस्मा के सारा सपना टहस महस हुइना डिन रहिन । रेस्मा जब रमेश के कुछ बाट सुन्ली मनमे अनेक बाट खेले लग्लिन । रमेश के कुछ बाट सटय हस कुछ बाट बनौटी हस लाग टहिन । रेस्मा उ राट के याड आइठिन जोन राट अपन सब कुछ रमेश हे सोप्ले रही रमेश के उ बाचा कसम सारा झुठ लागटहिन । जब की जोन्या ओ टोरैंया के कसम खैटी कले रहिट जस्टक जोन्यहा ओ टोरैया सडियो से एक जस्टै बा औस्टके मोर मैया पलि रहि । अलग हुइम टे मृत्यु पाछे कना मनै अत्रा हली महिसे अलग हुइटै कैक रेशमा सोच्टी रठी । रमेश रेस्मासे बहुट डुर जाई टहिट एक प्रडेशी बनके । रमेश के बिडेश के भिसा आगैल रठिन  ओ रेस्मा से अन्टिम पल भेट कर्ना चहठैं । रमेश रेस्मा हे आशा भरोसा विश्वास करैटी कठैं । रेश्मा मै हली अईम ओ हम्रे भोज करब । आशा करहो, भरोसा करहो, मोर बाटमे विश्वास करहो । हमार भोज हुई ढुमढामसे हुइ । यह भोजके लाग टे रुपया कमाइ जाइटु । टुहारसँग भोज ढुमढामसे हुइ रेस्मा कटि रठैं । रेस्मा कुछ कहे नै सेक्के रमेशके छाटिम चपटके केवल आँखिमसे आँस गिरैठि । हाँ कनासे औरे जवाफ नै रठिन रेस्माके । रेस्मा रमेशके सारा बाटमे विश्वास करलेठि । ओ रमेशके अस्रामे रना निर्णय करलेठि । रेस्माहे पटा नैरठिन कि मोर पेटमे रमेशके मैयाके चिन्हा हुर्कटा । जब रमेश घरसे बहुट डुर गैगिल रठै टब रेस्मा पटा पैठि कि मोर पेटमे रमेशके मैया चिन्हा हुर्कटा । यि बाट ना रेस्मा हे ना रमेश हे पटा रहिन । जब रमेश गैल रेस्माहे सब सुनसान लागेलग्लिन । ना बोल्नास ना ट खैनास । ना ट हँस्नास । संघरियासे बोल्नास फेन मन नै लग्ठिन रेस्माहे । रेस्मा रमेशके याडमे कवाके बैठे पुगि । जब रमेश ठाउँमे पुग्लै टे कुछ डिन पाछे रेस्माहे फोन लगैले । कि मजैसे पुग्नु कैक अपन हाल खबर बटैलै, रेस्मा फेन मजै रहिन ।





ढिरेढिरे रेस्माके पेटेम लर्का हुर्कटि जाइतहिन । यि बाट गाउँ घरमे फैले लग्लिन, बिना भोज करल रेस्मा पैनाहा होगिल बा कैक । जाने केकर पेट बोकल बा कैक रमेशके ठन खबर पुगाडेठिन । रमेश यि चिब्लिक बाट सुन्ठैं टे बरे जोर रिसैठैं । चिब्लि खैना मनै बाट बर्हाके बट्ओइले रठै । रमेश रेस्माके बारेम नै मजा सोचे पुग्ठै ओ रन्डि कहिके गरि डेठैं । रमेश रिसक झोके  सारा नाटा अपन करल बाचा कसम टुर डेठैं । रेश्मा रमेशहे बहुट सम्झैना प्रयास कर्ठि । रेस्मा रो–रोके कठि नाइ रमेश नाइ महि गलट ना सोंचो बच्चा टुहाँर हो । महि झूठा आरोप ना लगाउ । महि अत्रा भारि सजाय ना डेउ । गल्टि मोर कहुँ या टुहाँर । अत्रा स्वार्ठि ना बनो रमेश, टुँ महि अपन बनैना बाचा कसम खैलो । जुनि जुनि भर साठ डेम कैके आशा डेखैलो । भोज कर्ना बाचा कर्लो ओ मोर शरीरसँग खेल्लो । आज उ बाचा कसम कत्रा सजिलोसे टुरडेलो । कत्रा सजिलो बा बाचा कर्ना ओ जब चाहे टब टुर डेना । वाह रमेश वाह का चाल खेल्लो अपन प्यास मेटाइक लाग । अपन मनक इच्छा पूरा करक लाग । आज महि रन्डि ना । जब कि पहिला प्यार टुँ हुइटो कैक रेस्मा अपन मनक बह छिट्कैठि ।





उ डिनसे रेस्माके ठन रमेशके फोन अइना बन्ड होगिलिन । कुछ डिन पाछे विडेसमे ओहोरे रमेश भोज करल सु परठ् । इ बाट चारु ओर फैल जाइट कि रमेश रेस्माहे छोर्के डोसरसे भोज करल । आखिर सब केकर डोस रहे । रमेश ओ रेश्माके सम्बन्ध टुर्ना काम के करल ? ओ हे झुठ चिब्लिक बाट ओ समाज ना । एक थो कहकुट बा कौवा कान लैगिल कहटिमे कौवक पाछे नै डौरे परठ् । पहिले अपन कान छाम्हे परठ । कहल बा मनैनके जिभिम घाटक बीस भरल रहठ् । जौन मनैनके जिन्गिहे टहस नहस पार डेहठ् । जिभ डुइ ढारे टरवार जस्टे हो । उल्टा सुल्टा पटे नै चलठ् । कहगिल बा एक्के शब्दसे मनैके सँपार डेहट ओ एक्के सब्दसे बर्बाद हुइ पुगट । रमेश ओ रेश्मा के जिन्गिम आगिलगाके बर्बाद करुया मनैनके बोली रहिन । रेश्माके खुशि छिनके अगिलगादेलै । रेश्मा केवल रमेशके रहिन, अपन जवानी केवल रमेश के लाग सजाके ढर्ले रहिन । टर समाज के लजर गलट बनादेहल । गलठ डेख्के डुइ बिचमे फुट करडेलैं । रेश्मक जिन्गिम आँशक लडिया बहादेलै । ओहोर रमेश मनैनके बाट सुन्के रेश्मासे नफरट करे लाग्लैं । रेश्मा हजार बिन्टि कर्लिन मने रमेश नै सुन्लै । अाखिर अोपन जिन्गिक निर्णय कर्के छोर्लै । विडेशमे ओरे लौन्डिसे संगे सुटे बैठे लग्लैं । रमेश उहे लौन्डिसे रमाई लग्लै । सारा कर्च ओक्रे मे करे लग्लै, एक साल डुई साल करट् गरेम रुपया कमैना फेन बन्द करडेठैं । घरक मनै फेन रमेशके पर रिसाइ लग्ठिन । ढिरे ढिरे समाज फेन रमेशके बाट काटे लागठ् । देवि जसिन रेश्मा से सम्बन्ध टुरके रमेश अपन गोरम अप्नेहे कुरहार मर्ले रहिंट । रमेश हे उ लौन्डि लुट सेकल रहे । कुछ पैसा बचाइ नै सेकटहिट रमेश । रमेशके जिन्गिम सराप परल हस रहिन । निर्दोस रेश्मा हे बिना सोछछल बिना बुझल इन्कार करके जिन्गि बेहाल करैलै मन आप उहे बडला अपनमे आसेकल रहिन । रमेश रेश्मा हे धोखा डेले रहिट आप अप्ने धोखा पासेकल रहिट । एकओर रमेश टरप टरपके जिए टहिट टे एक ओर रेस्माके जिन्डगीमे अन्ढरिया छाजिठिन । जिन्डगी टीट होगिल रठिन । ना मरे सेक्ना ना जिए सेक्ना होजिठिन, समाजके नजरमे घृणिट होके आँशक घुटका पि पिके रेस्मा जिना प्रयास करे लग्लि । आफन्टफे ठुके लग्ठिन । अपन डिडीफे नैमजा माने लग्लिन । कहिन–टुहिहे सोंचे पर्ना रहे, अपन इज्जटके ख्याल अपन जिन्डगीक ख्याल करे पर्ना रहे । आप पटा चलल हुइ ना डुनियक मनै कत्रा स्वार्ठी मैया कर्ठै कैक । खै टोर रमेश ? बहुट मजा बा कहिस, बहुट मैया कर्ठै कहिस, खै टोर रमेश के मैया ? ओ अपन हालट हेर का बना सेकल बटे कैक डिडी कहिन ।




रेस्माके जिन्डगी डुःख कष्टम गुजरटि रठिन । कुछ महिना पाछे रेस्मा एकठो लर्का जल्मैठि । बिना बाबक नाउँक बच्चा कैक मनै खिसि काटे लग्ठिन । टर रेस्माहे सब कुछ पटा रठिन कि केकर बच्चा हो । रेस्मा रमेशसे भारी ढोका पाइल रठि । रेस्मा अपन मैयक चिन्हा मासुम लर्कक् अनुहार हेर्लि टे आँखिमसे ढरढरसे आँस गिरे पुग्लिन कसिक इन्कार करे सेक्टि रेस्माक निर्डोष बच्चाहे । रेस्मा उ अपन कोखके निर्डोष अन्जना बच्चाहे बचाइक लाग हुइलेसे फेन यि स्वार्ठी मनैनके माझ बडनाम सहके फेन बच्ना चहठि केवल अपन कोखके बच्चाके लाग हुइलेसे फेन । ओहोर रमेश रेश्मा कहल एकएक बिन्टि याद अठिन ओ घरे जाके रेश्मा हे स्विकार करके अपन दुलहि बनैना निर्णय करलेठैं । 

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ओराइल ।

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