अन्तिम मिलनके रात || Antim milanke rat

अन्तिम मिलनके रात || Antim milanke rat

"इ कथामे पुरान बात फेंन खिट्कोरल बा । पहिलेक जबानामे लर्का जन्मनासे पहिले ठकौनी खाडारिंट । लवन्डिक इच्छा बिना भोज कैके अपन छाइ गुमैलक घटना बा ।"

अन्तिम मिलनके रात || Antim milanke rat


फोटुक एल्बम बिल्टैटी एक-एक फोटु हेर्टि रठैं । जोन एल्बम हुँकार संग घुम्लक् रमैलकप् हँस्लक बेलाके मेरमेरिक फोटुले भरल रठिन । फोटु हेर्ठै ओ उहे अपन डिलके रानिक् झलझली याड अइठिन रोशनहे । 


फोटु हेर्टि जैना क्रममे नजर उ फोटुम पर्ठिन । पूर्णिमा अपन संघरियक भोजेम गैल बेला संघरिया डुल्हिकसँग बैठके खिचाइल फोटु । यहे फोटु रोशनहे ऊ बेलाके याड कराडेथिन । जोन डिन पूर्णिमा डुलही सिंगारमे भोजमे आइल सारा मनैनके आघे टिका लगैना क्रममे ढर्टीम ढले पुग्लिन । उ घटनासे भोजहा घर उ गाउँ सारा खहल बहल होगिल रहे । उ डुःखड भयानक घटनामे सारा गाउँ सुनसान हुगैल रहे । उ बेला पूर्णिमा बिच डगरमे अपन डम टुलडेलीन । पूर्णिमा हे उ घरसे बिडाइ करटिहिन टर पूर्णिमा यि डुनियाँसे बिडा होडेलीन । आखिर काकरे पूर्णिमा अपन जिन्गीक अन्ट कर्लिन टे ? हर व्यक्तिनके मनेम् इहे प्रस्न आइ पुग्लिन । 




रोशन पूर्णिमाहे सम्झटि एल्बमके फोटु सुहरैटी आँखी भर आास लेले फोटु हेर्टि रठैं । रोशन पुर्णिमासे छोटी रहलमे खिंचल फोटु हेर्के उ बेलक याड अइठिन जबेकि स्कूल जाइबेरिक छ साट वर्षके उमेरमे खिचल फोटु रठिन ।


पूर्णिमा ओ रोशनके घर डगरमे वारपार रठिन । एक ओरसे पूर्णिमा संपरके निकरना करिट टे एक ओरसे रोशन, डुनुजे सँगे स्कुल जैना करिट । हँस्टि रमैटि स्कूल पुग्ना करिट । सँगे एक्के कक्षामे पूर्णिमा ओ रोशन डुनुजे पास हुइटी गैलाँ । रोशन पहिला हुइलेसे पूर्णिमा डोस्रा हुइन । रोशन डोस्रा हुइलेसे पूर्णिमा पहिला हुइना । अस्टके डुनु जहनके पह्राइ मजा हुइटि जैठिन । पूर्णिमा ओ रोशन जवान हुइटि गैलाँ । एकठो मिल्ना संघरिया रहिट । टर मनक भित्तरसे एक डोसरहे चहिट टर कहे नै सेक्ले रहिट । रोशन ओ पूर्णिमा के चाल स्वभावसे सब जहन लागिन कि यि डुईजे एक डोसर हे मैया कर्ठै । टर पूर्णिमा ओ रोशन एक डोसरहे कहे नै सेक्ले रहिट । छोटेसे सँगे स्कूल जैटि जैटि जवान अवस्ठामे पुग सेकल रठै टर अपन मनक् बाट कहे नै सेक्लेरहिंट । स्कूलमे सँगे, डगरमे सँगे, घरे सँगे कामेम सँगे जहाँ फेन सँग रठैं ।




डिन अस्टे बित्ती जैठिन । यी सब डेख्के पूर्णिमाके डाइक कानेम मनै फुके लग्ठिन । पूर्णिमा फलानासे खेलल कैक । यि बाट सुनके पूर्णिमाक् डाइ महाजोर रिसैठिन । ओ पूर्णिमाहे रोशनके सँग स्कूल जैना मे रोक लगाइ लग्ठिन । टर पूर्णिमा एक कान सुनके औरे कान उराडेठिन । पूर्णिमा रोशनहे यि बाट नै बटाइन कारण रोशनहे डुःख लग्हिन कैक । पूर्णिमा अपन डाइसे पिट्वा पाइन मने रोशनहे नै बटाइन । रोशन के मन डुखैना नै चाहिन । मनमे रोइलसे फेन ओठमे मुस्कुरैना करिन पूर्णिमा । पिट्वा पाके शरिर सोम्लै सोम्ला रलेसे फेंन रोशनके सामु अपन मुह नै खोलीन ।



पूर्णिमा ओ रोशन खेल्ठै कैके सब हल्ला रहिन टर पूर्णिमा सोंची रोशन मही मन परैठैं कि नाइ ! ओ रोशन फेन यह बाट सोच्ना करिट । एक डिन सुन्लै पूर्णिमाहे डाइ बरेजोर पिट्ले बटिन, रोशनसे खेल्ठे कैक । रोशन यि बाट सुन्के बहुट डुःखी हुइलैं । कारण पहिलचो सुन्ठैं पूर्णिमा अपन संग खेल्लक कारण पिट्वा पैलक । रोशन पूर्णिमाहे बहुट चहठैं । रोशन जन्ना चहठैं का जत्तिके पूर्णिमा महि चहठि ! पूर्णिमा ओ रोशन स्कूल जाइबर फेनसे भेट होजिठैं । उहे डगर उहे अंगना एकओरसे पूर्णिमा निक्रठी टे एक ओरसे रोशन । पूर्णिमा ओ रोशन के भेंट हुइठिन । पूर्णिमा के अनुहार निरास रहिन औरे डिनसे फरक रठिन । ओ रोशन के फेन औरे डिनसे फरक रठिन । रोशन पूर्णिमासे जन्ना चहठैं । सँगे स्कुल गैलक ओ महि से खेलठ् कैके पिटवा पैलक ।




रोशन पूर्णिमासे कठैं “पूर्णिमा टोहाँर डाइ टुहिन पिट्ली सुन्नु । टुँ महिसे खेल्ठो, महिसे लागल बटो कैके ना ।  पूर्णिमा डुःखी मढुर अवाजमे कली हाँ रोशन रोज पिटट ओ गरियाइट । ओकर सँग ना जाइस, ना नेगिस कैके । टै उहिसे भोज करे नै पैबे । टोर लवण्डा औरे बा उहे लवण्डाहे लेहे परि कहट । पूर्णिमा डर्ड भरल आवाजमे कठि । रोशन पूर्णिमाके आँखमे आँख मिलाके कठि पूर्णिमा का टुँ महि चहठो ? पुर्णिमा आँस भरल आँखिले हेर्टि कठिन हाँ रोशन मै टुहि चहठुँ केवल टुहिन । छोटेसे टुहिन मन पराउँ टर कहे नै सेकु । डर लागे टुँ मोर मैया अस्विकार कर्बो कि कना । रोशन फे उहे कठैं मै फे टुहिन मन परैठुँ, टुहिन चहठुँ । टुहाँर जस्टे मै फेंन कहे नै सेकल रहुँ । 




डुनुजे डगरके यात्रामे अपन मनक सुखडुःख के बाट कर्टि स्कुल पुग्ठै । पूर्णिमा ओ रोशन और ज्याडा एक डोसरके मायामे हेरा जैठाँ । स्कुलसे आइट जाइट ओ स्कूल मे सँगे । यि डेख्के रोशन ओ पूर्णिमा हे अलग कराइक लाग पूर्णिमाक् डाइ छुैना आउर कोसिस करे लग्लिन । कारण पूर्णिमा पेटेम रहल मे पूर्णिमक् डाइ अपन मिल्ना गोहीसे बाचा करले रहिन जे छाइ पाइ कलेसे अपन छाइ डि कैके । पूर्णिमा के डाइ यि बाजी मे हार खाइल रहिन । डुनु गोहिनके सँगे भोज हुइठिन ओ पूर्णिमाके डाइ पूर्णिमाहे जन्मैठी ओ गोही टाराहे । छाइ डेना बाचा करलक ओरसे पूर्णिमाके डाइ रोशन ओ पूर्णिमाके सम्बन्ढसे राजी नै रहिन ।


ओहोर तारा हे पटा नै रठिन । कि पूर्णिमा से हमार ठकौनी जल्मनासे पहिले हुइल बा कैके । यि बाट डुनु गोहिनहे किल पटा रठिन । जब पूर्णिमा ओ रोशन एक डोसरहे चाहे लग्लाँ यि डुईजे खेल्ठैं कना पूर्णिमाके डाइ पटा पैलिन टब जाके पुर्णिमा रोशन ओ टारा हे यि बाट पटा चल्लिन । पूर्णिमा ओ रोशन के बहुट विरोढ हुइठिन रोशनहे पूर्णिमासे अलग करैना चहठैं । ओहे बेला एक राट रोशन ओ पूर्णिमा एकान्ट ठाउँमे भेंट कर्ठै । ओ घण्टौं सम अपन मनक डुःखक बाट विछोडके डर्डनाक भाव एक डोसरहे सुनैठैं । डुनुजे बहुट डुःखी रहिट । 




पूर्णिमा रोशनके कोनामे सुटके जिन्डगीक भाग्य ओ डुर हुइ पर्लकमे बहुट डुःखी रठि । पूर्णिमा रो–रोके कटि रठि । रोशन यि कसिन जिन्डगी हो संसारमे सिर्जनासे पहिले औरेक उप्पर सौपना । औरे जहनके जिन्डगीक खेल्वार कर्ना ।  लवण्डा लवण्डिक इच्छा बिना जीवन जोरियाके नाट जोर्ना । हर कोइक अपन अपन चाहना रहट । हमार फेन कुछ लक्ष्य रहट, चाहना रहट । भोज कना चिज जिन्गिम एकचो कर जाइट । एक डोसरसे जिन्डगी बिटाई परट । भोज एक घचिकके नाटक करे जसिन नै हो । रोशन मोर जिन्डगीक खेल्वार हुइटा । मोर इच्छा बिना टारासे भोज कर्ना खोजटैं । टारा फेन महि नै चहठैं टर अपन डाइक ओ मोर डाइक कारण भोज कर्ना चहठैं । टर रोशन ओइने हमार खुशी छिन्के अप्ने खुशी हुइना चहठैं । हमार छोटसे रहल सम्बन्ढ ओ मैयाहे टुर्ना चाहटैं । अन्टमे पूर्णिमा कठि रोशन अगर टुहिनसे छिन्के जबरजस्टी औरे जहनसे भोज कर्ना प्रयास करहिं कलेसे उहे भोज मोर जिन्गिक अन्ट हुइ । यी मोर बाचा हो कैक पूर्णिमा कठी । पूर्णिमा रोशनसे बिन्टि कर्ठि अगर मोर भोजके टयारी करही कलेसे उ भोजमे जरुर अइहो रोशन, जसिक फेन अइहो । टुहिनहे अन्टिम पल्ट हेर्ना चाहटुँ । अन्टिम पल्ट टुहिनसे बोल्ना चाहटुँ । अन्टिम पल टुहिन छुना चहटुँ । यी बाटसे रोशन ओ पूर्णिमा एक डोसरके उक्वाँरमे बहुट रोइठाँ । कारण रोशन और पूर्णिमाके यि भेंट बहुट डुःखड रहिन । डुनु जहन पटा रहिन यि भेंट अन्टिम भेंट हो कैक । रोशन पूर्णिमाहे बहुट सम्झैठैं टर पूर्णिमा मनाही कर्टि गैली । पूर्णिमा कठि रोशन मोर जिना आढार केवल टुँ हुइटो । टुहिनसे कोइ अलग कराइ कलसे उ हे मोर अन्ट हो । कारण मोर जिन्डगी खेल्वार हुइटा । मै यि नियम हे टुर्के छोरम । बिना डेखल ठकौनी खैना ओ जबरजस्टी औरेक इच्छा बिना ठकौनी खाके जबरजस्टी भोज कर्ना नियम टुर्के छोरम रोशन कैक पूणिमा कठि । 


पूर्णिमा रोशनहे जिना आश डेठि । रोशन मोर कुछ होजाइ कलेसे जसिक फेन जिना प्रयास करहो । मोर ठाउँमे टुहाँर जिन्डगीमे औरे कोइ महिसे मजा अइही । महीसे ज्याडा मैया करही ख्याल करही । यि जुनीम मै टुँहार हुइ नैसेक्लेसे फेन औरे जुनिमे टुहाँर हुइ पाउँ कटि पूर्णिमा हे खोजट आपुग्ठैं । पूर्णिमाहे रोशनके सामुसे टानके लैजिठिन । पूर्णिमा नाइ मै नै जैम नाइ मै रोशनके हुँ, रोशन रोशन कैक चिल्लैने रोइठि ओ निप्चना प्रयास कर्ठि टर नैसेक्ठि । पूर्णिमा ओ रोशनहे अलग कराके छोर्ठै । जबरजस्टी पूर्णिमा हे टारासे पर्छना चहठैं । रोशन ओ पूर्णिमा अलग-अलग करुवा पाके टरप-टरपके जिए लग्ठैं । 




पूर्णिमाके भोज कार्यक्रम शुरु होजिठिन । टिकाके कार्यक्रम ढार्के भोज निप्टैना योजना बनैले रठैं । औरेओर रोशनहे पूर्णिमाके कहल बाट घरिघरि झस्काइ टहिन । रोशन अगर जबरजस्टी मोर भोज टारासे कर्ना प्रयास करही कलेसे उहे भोज मोर अन्ट हुई । पूर्णिमाहे टाराके घर पुगा सेक्ले रहिट । आज, काल्ह परौं करट भोजके डिन आजाइठ । पूर्णिमा बिन्टी कर्ले रही रोशनहे । रोशन भोजक उ डिन जसिक फेन अइहो । मैयाके कसम खओइले रहिन । रोशन पूर्णिमाके ऊ आँश बहाइल बिन्टीसे उ भोजमे उपस्ठिट हुइठैं । 


टिका लगैना कार्यक्रम शुरु रहट । पूर्णिमा डुल्हिक सिंगारमे टाराकेसँग बैठल रहि । अनुहार मलिन रहिन उडास रहि पूर्णिमा । उ टिर्छि नजरसे रोशन हे हेर्ठी । रोशन ढिरेसे भोजहा अङ्नम पैला टेक्ठैं ओ पूर्णिमाके ओर परगा सर्ठै । जब रोशन उ भोजमे प्रवेश कर्ठै टे सारा जहनके नजर रोशनके उप्पर परजैठिन । सारा भोजक मनै यि डृस्य हेर्टि रठैं । बहुट डिन पाछे पूर्णिमा ओ रोशन के भेंट हुइठिन । पूर्णिमाके आँखिम् खुशी ओ डुःखके आँस भरगैल रहिन । रोशनहे पूर्णिमा कले रहिन “रोशन अगर जबरजस्टी मोर भोज टारासे कर्ना प्रयास करहि कलेसे उहे भोज मोर अन्ट हुइ ।” रोशन पूर्णिमाके लग्गे पुग्ठैं । पूर्णिमाके ढेवर कुछ कना चाह टहिन टर कहे नै सेकटहि । 


रोशन हाठेम टिका लेके पूर्णिमाके माठेम लगैना शुरु करलैं । डुनु जहनके आँख एक डोसरसे मिलल रठिन । डुनु जहनके आँख आँसले भरल रठिन । डुनु जहनके ढेवर कुछ कहक लाग कुलबुलाइ टहिन । मनके भित्तर हजारौं शब्ड अँटाइट नै रठिन । पूर्णिमा ढिरेसे ‘रोशन’ कठि । रोशन फेंन पूर्णिमा बाहेक कुछ कहे नै सेक्ठैं । रोशन ओ पूर्णिमा एक डोसरहे हेर्टिक हेर्टिक रठैं । पूर्णिमा कले रहि “रोशन मै टुहिन अन्टिम पल हेर्ना चहठुँ अपन मन भरके । अन्टिम पल बोल्ना चहठुँ ओ टुहाँर आवाज सुन्ना चहठुँ । अन्टिम पल टुहिनहे छुना चहठुँ । रोशन ओ पूर्णिमा, डुनुजे टिका लगाइक लगा कर्ठै ओ पूर्णिमा अपन कहल जसिन कर्टि रही यि सब डृश्य से ओ डुई जहनके मैयाँसे अचम्म हुइ पुगल रठैं ।




रोशन जस्टक अपन पैला पाछे का सर्ले रहिन । पूर्णिमा अचानक ढर्टिम ढले पुग्ठि । भोजक सारा मनैननके डौरढुप होजिठिन । पूर्णिमा जहर खा लेले रठिन । समय बहुट ढिला होसेकल रहठ । पूर्णिमा अन्टिम पल रोशनहे कठि “रोशन महि माफ करहो । मै कले रहुँ ना मै टुँहार बाहेक औरेक हुइनै सेकम ।”

पूर्णिमा एक घचिक पाछे रोसनके कोनम अपन सास छोरडेठिन् । रोशन चिल्ला पर्ठैं टर पुर्णिमाके ओहे अन्ट रथिन । सबसे डुखड क्षन ओहे रठिन रोशनके । एकठो फिलिम के जसिन घट्ना रहे मने जाट्टिक रहे । उहाँ कौनो सुटिंग नै रहे । टर पुर्णिमा सडाके लाग आँखी बन्ड करसेकल रहिन । रोसन रोइने अपन छाटिम चप्टाके पुर्णिमाके अनुहार हेर्टि रहिंट । अचानक रोशनके लजर पुर्णिमाके छाटिम खोसल कागजके टुक्रामे पर्लिन । रोशन हलिहलि उ कागज निकारके हेर्ठैं । उ कागज में असिक लिखल रहे ।


रोशन माफ करहो । मोर कहल बाट याड करहो । ओहे राट जोन हमार मिलनके अन्टिम राट रहे । ओहे बेला मै कले रहुँ टुहार बाहेक अौरे केक्रो नै हुुँ । ओहे बेला टोहाँर आँखिक आँस मोर अनुहारमे टप्प टप्प गिरे पुगल रहे । महि पटा टुँ महि बहुट माया करठो । रोशन टुँहार कोख बाहेक अौरेक कोखमे सुत्ना नैचहठुँ । अन्टिम साँस सम्म टोहार कोनम रना चहठुँ रोसन । महि पटा बा टुँ जरुर अइबो भोजक डिन । ओ मै टुहिनहे हेरम ओ बोलम ओ टोहार कोखमे निडैम अन्टिम पल । टोहार लजरके सामु सडाके लग  कर्ना चहठु इ पल्का । इ डिलके ढर्कन टोहार डिलसे जोेर्ना चहठु । अन्टिम पल टोहार कोनम सुट्ना चहठु । रोशन याड करहो बचपनसे लेके आझसमके सब बाट । रोशन माया त्याग हो कठैं । सत्य माया उ हो जे अपन मनैनके लाग ज्यान डैडेहठ् । रोशन मै इ समाजसे हार खा गैनु । मोर खुशी छिनके डोसरके संग भोज कर्ना कोसिस करटै । जोन भोज जिवनमे एकचो किल कर जाइठ् । रोशन महि माफ करहो । अपन मनक बाट प्रत्यक्ष कहे नैपैलक ओरसे इ कागज ओ कलमके साहारासे मनक बाट लिखे परल बा । मोर बिस्वास बा टुँ जरुर अइबो  भोजेम । मोर लजर मे लजर मिलैबो ।महिहे छुबो महिसे बोल्बो । हाँ रोसन टु जरुर अइबो । मोर जिन्गिक अन्टिम पल मे जरुर अइबो ना विश्वास बा ओ मरणशिल शरिरहे अपन कोनामे उठैबो । हाँ रोसन मै टोहाँर मुटुक टुक्रा पुर्णिमा । रोशन पुर्णिमाहे अपन छाटिम चप्टाके रोइना बाहेक कुछ करे नै सेल्लै । 




पूर्णिमाके इच्छा बिना उ भोज टहसनहस होजैठिन । पूर्णिमाके जन्मनासे पहिले खाइल ठकौनी ओ जबरजस्टी भोज कर्नाके कारण पूर्णिमाहे गुमाइ पुग्ठैं । पूर्णिमाके जिन्गीक खेल्वार कर्ठै । छाइनके जिन्डगी कसिन एक टे अपन जन्म घर छोर्के पराइ घर जाइ पर्ना ।उहे घर जुनि बिटाइ पर्ना ।  उहे फेंन इच्छा विपरिट भोज करे पर्ना कत्रा डुखके बाट । हर व्यक्ति स्वटन्त्र जिना अढिकार बा । मजा बाट बटैना ओ सिखैना हर व्यक्तिनके कर्टव्य हो । जिन्गिक लक्ष्य, योजना चाहना अपन अपन रहठ । ओराइल ।


संगम चौधरी....✍️

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