सावन के रात

सावन के रात

सावनके महिना बर्खा खोप मचल रहट । बड्री ठरकटटे गीटा झसक्के जागजिठिन । ओ चिमचाम पला रठिन । घरीमे समय हेर्ठी ठिक्के राटिक बाह्र बजल रठिन । राट सुनसान रहट पानी झरझर झरझर बर्षटि रहठ । घरक छंपरा चुनाहा हुइलक ओरसे जहोर टहोर पानी ट्यापटुप ट्यापटुप चुहट सुनमिलट, गीटा ढिरेसे उठ्ठी ओ लोट्या खोरिया भाँरा बर्टन पानी चुनाहा ठाउँ डोगडेठी ओ सुट जैठिन । पानी अपन मनका खोप टाल मिलाके अपन अपन आवाज निकारके चुहे ट्यापटुप ट्यापटुप खुभलुङ्ग छुझलुङ्ग कर्टी ।


सावन के रात


गीटा आँख टुम्के निडैना चहठिन टर निन नै पर्ठिन कान जागल रठिन । छोटमोट कोनम लर्काहे डुढ चुसैटी घरक छपरा हेरठी । भलीमुन्डा खरले छाईल उहे फेन टीन चार बरस होगिल रठिन छैंलक । खह्रक छपरा खह्रक भित्ता हालसाल के लाग बनाईल घर कसिन रही । मजा घर बनैही फेंन कसिके भर्खर घर फुटके अइलानी जग्गामे घर बनाके बैठल रठै । 

गीटा करोट लेलेके एहोंर ओहोर करटहिन । ओहोर गीटाके जीवन साठी विपिनके बरेमजा निन परल रहिन । निनफे काकरे नै परिहिन विचारा डिनभर घामपानी सहके ईटा ढुङ्गा बोक्के ठकल जीउ । बरे ढेङ्ग ढेङ्ग घरक उप्पर क्याट कुट कर्के चौह्रे पर्ना । गीटा विपिनके कहल बाट सम्झठिन । हालसाल भलीमुडा घर बनाली घामपानी आँढी बटाससे बचप टे होजाई । पाछे ढिरढिरे रुपिया जोर्के मजा घर बनाप । गीटा यह बाट सम्झठी ओ मन बुझैठिन । कब जुटाई सेकही बिचारा विपिन अत्रा ढयार रुपिया ओ मजा घर बनैही । बनैना फेंन कसिक अइलानि जमिन बा काल कहाँ जैना हो पटा नै हो कैक अनेक बाट सोच्टी सोच्टी भिन्सार होजैठिन । गीटा हे उठे पर्ना जुन होजिठिन । विपिन हे अन्गुट्टी कामेम जैना रठिन । खैना बनैना रठिन ।विपिनके लाग खैना पिना सब टयार कर्के ठिकठाक कैके भैटोर बहान डेठी ।



विपिनके रोज डिनके यह डिउटी रठिन । बिहान भिन्सरही जैना ओ साँझ अन्ढार घरे घुम्ना । कबु नै गीटा से मजासेसँगे रहे पैना । गीटा  विपिन घरे अइना जुन संपरके रना करिन । संझाके सँगे बेरी खैना अस्रामे बैठ्ना करी गीटा । डिन भर डुनुजे अलग-अलग कामेम रलेसे फेन साँझके मिलन हुईना करिट ओ डुन प्राणी अपन अपन सुख डुःखके बाट साटासाट कर्ना करिट ।

गीटा ओ विपिन खाके नै खाके डुनु प्राणी रुपया जोर्ना ओर लागल रठैं । ओहर्ना बिछौना पुराने रलेसे फेन ओ   खटिया टुुटल टुटल रलेसे फेन डुनुजे मिठ निन सुट्ना करिट । गीटा विपिनहे जीवन भर अपन सारा डिलसे हरचिजमे साठ डेम कैक अप्ने आपसे बाचा कर्ले रठिन । गीटा रोज डिन बिहानी उठ्ठी ओ घरक काममे लाग जैठिन । ढेकी कुट्ना चक्या पिस्नासे लेके घरक सारा काम उसर्ना करठिन । बोली चाली मिठास, ठारु पहिरन लेहङ्गा चोलियामे बरे सुहावन डेखैठिन गीटा । सावरमे सुहावन सवारल मन लोभाउन रुपरंग रठिन गीटाके । हजारौंमेसे छाँटलहस रहिन गीटा । ज्ञानगुनके बाट ज्याडा कर्ना । समाजके हिटके लाग ज्याडा चिटैना बानी गीटाके रहिन । अपनसँग कुछ रलेसे नै रहल ओइनहे डेना बानी रहिन । कौनो फेन काम ओ बाट कर्नामे पाछे नै हट्ना । ओहोर विपिन मनैनके घर बनैनामे फुर्सड नै रठिन । आज ओकर उहाँ टे काल ओकर घर बनाई । विपिन के सपना रहिन कि एक रोज अपन सुन्डर घर बनैना । अड्रिक अड्रिक महल घर बनाके अप्ने उहे झोपरीमे सुख शान्टि मिठ निनके सँग राट बिटैना करिट डुनु प्रानि  ।

विपिन हे लाखौं रुपया जुटैना रहिन “एकठो सुन्डर लौव घर सजैना । विपिन केवल रुपया कमैना ओ ढ्यार कराके घर बनैना लक्ष्य रठिन । विपिन ठोर बहुट रुपम कमाके विडेश जैना योजना बनालेठैं । श्रीमटी  छोरके विपिन विडेश ओर लग्ठैं ।  बिचारी गीटा आप विपिनके मैया नै पाके जिन्डगी अकेली लागे लग्ठिन । घरे रहलमे राट भर भेंट हुुइना करिन विपिनसे आपटे डिन ना राटके भेंट हुइना । विपिन घरे रहल बेला झोपरीमे सुटके सु:ख डु:खके बाट साटासाट कर्टी मिठ निन परिन । भिन्सरही उठके विपिनके लाग खैना टयार कर्के  कामेम पठैना करिन । टर आप उ कर्ना जुन विपिन हे सम्झना करिट गीटा । याड अइना करिन विपिन हे माया करके कामेम पठैलक । साँझके विपिनके अइना जुन संपरके बैठना करिन गीटा टर आप केकर लाग सपर्ना । सँगे बैठके खैना करी हाँस-हाँसके बाट करी सुनैना करी । आप किहिसे बाट कर्ना । गीटा अकेली बैठ्के विपिनके याडमे हेराजाइन । 

गीटा अपन जवानीके डिनमे बिटाइल डिनके समय झलझली सम्झे पुग्ठिन । ठारु परिवारमे जल्मलक् कारण गीटा छोटिसे ठारु संस्कृटि रहसहनमे हुर्कल रठिन । ठारु गीट गैनामे कम नै रहिन । विपिन फेन मन्ड्रा बजैनामे कम नै । सायड यह कारण डुनु जहनके जोरिया परमेश्वर जुराडेठिन । गीटा उहे डिन सम्झठिन । माघी मिलन कार्यक्रम रहट । ठाउँ–ठाउँसे नाचके बगाल अइना रहट । यह नाचके लाग गीटा नचुनियाके लाग छनौट हुइठि ओ विपिन मडरियाके लाग ।

कार्यक्रम शुरु हुइट । कार्यक्रममे ठारु पहिरनमे बगालेक बगाल  लवन्डिन घुमल रठैं । अड्रिक अड्रिक गहना घल्ले सुटिया, कारा, बाला, झिलमिल्या, माला, नठिया, लेहङ्गा, चोलिया, झोबन्नासे संपरल । ठारु पहिचानहे झलकैना हर प्रकारके पहिरनमे संपरके ठारु महिला हुँक्र सारा मन्च छोपल रठैं । यह हजारौंके बीचमे गीटा फेंन कम सुग्घुर नै रठिन । हजारौंमे एक रठिन, सुग्घुरमे सुग्घुर साँवरमे सवारल । फुन्ना लागल लेहङ्गा छमछम हुँकार नेगाइ नेगाइके सँग सुवास उरिन । हजारौंमे ढुम मचाडेठि गीटा । हुँकार नाचसे सारा डर्शक होहल्ला परठैं । जस्टै नचुन्या ओस्टे मडरिया । गीटा हजारौंके मन जिटे पुग्ठिन । अत्रै किल नाइ विपिनके मन फेंन चोरा सेकल रहि गीटा । विपिनफें का कम उ फें गीटा के सब कुछ चोरा सकेल रहिट । ऊ डिन गीटा ओ विपिन पहिला नम्बरमे लेह पुग्ठैं । ओ हजारौंके माझ सम्मान हुइठिन । उहे डिन गीटा ओ विपिनके नजर एक डोसर बरे गहिंरसे जुझे पुग्ठिन ।



कारण डुनुजे एक डोसरके साठ पाके हजारौंके बीचमे सम्मान पैठा । डुनुजे एक डोसरहे डिलसे ढन्यवाड ओ जिन्डगीभर साठ डेना बाचा करलेठैं ।

जिन्डगिक् सफलटामे एक डोसरके साठ चाहट, उटसाह चाहट, माया चाहट । जिन्डगीमे सफलटा पैना बा कलसे औरे जहनके हिट खोजे पर्ना रहठ । अप्ने गिरके फेंन औरे जहन उठाई परठ ।

गीटा ओ विपिन बिचमे यह मन रठिन । कारण गीटा सारा जिन्डगी विपिनके साठ सेवाके लाग अप्ने आपहे सौंप डेले रठिन । राट डिन गीटा विपिनके अस्रामे रठिन । छोटिमोटि झोपरि रलेसे फेंन गीटा विपिनके मैयामै खुशी रठिन । विपिन गीटासे करल बाचा जसिक फेंन पुरा कर्ना मे लागल रठैं । सोच्ठै एक सुन्डर घर मै अपन डिलके रानी गीटाके लाग बनैम । लिपपोट करे नै पर्ना सिसा जसिन चम्कना ढर्टी मे नेगैम गीटाहे । गीटक आँखिम आँश नै आइडेम हमेसा खुशि करैले रहम कैक विपिन सोंच्टि रठैं ।

ढिरेढिरे विपिनके सोचल काम पूरा हुइटि जैठिन । अपन कमाहिके पैसा पठैंठा ओ अपन जीवन संघरिया गीटाके जिम्मा लगाडेठैं । गीटा एहोंर गाउँम एक ठाउँ जमिन किन्ठिन ओ घर बनैना शुरु कर्ठि । गीटा बहुट मेहनट कर्के घर बनैना ओर लग्ठि । डुपहरके जरेहस लग्ना घामेम ऊ टाटुल टाटुल इँटा ढुंगा बोक्के हाँठेम फोक्टा परजाइन । एक-एक इँटा ढुंगा जोरजोरके भुख्ले प्यासे काम कर्के एकठो सुग्घुर घर बनैठि । गीटा  घर टे बनैठि टर अभिन जिन्डगिमे बहुट कुछके जरुरट परल महशुस हुइठिन । 

गीटा अपन बिटल डिनके जिन्डगी घुमके हेर्ठि, कहाँसे कहाँ पुुगाइल सम्झठिन । एक डिनमे यि संसारमे नै रहुँ । कसिके मै डाइक कोखमे सिर्जे पुग्नु महि पटा नै हो । डिन-डिने मै मैननके नजरसे अडृश्यमे सिर्जटि गैनु । मोर शरीर कसिके सिर्जल किहुइहे पटा नै रहिन । मै जल्मनु ओ संसार महि डेखल । डाइ बाबा महि स्याहार सुसार कर्लै । एक डिन मै डाइ बाबन घर हुर्कनु । आज मोर घर विपिनके घर हुइपुगल बा कटि 

अपन डाइ बाबाके कहल उ बाट सम्झनम अइलिन । जौन डिन गिटा बिपिनसे हुइल बाट बटैलिन ते डाइ बाबा कलेरहिन ।  छाइ आप टै जवान हुगैले, आप टोर हम्रहिन छोर्के जैना उमेर होगैल । कसिके रोके सेकब छाइ तुहिन । भगुवा अस्टे नेम बनाडेले बा । चाहके फेन छाइ लर्कन डाइ बाबक घर ढारे नै सेकजाइट । जवान छाइ लर्कन घरेम डेख्के समसज फेन नै मजा सोचेलागट । रो ढो के छाइ जातिन आनक घर पथाइ परत । छाइ जाटके टिनथो घर रथिन । जलम घर, करम घर ओ स्वर्ग घर । 

छाइ हम्रे टुहिन जलम टे डेलि मने जिन्गि भर संगे रहे नै मिलट । नौ महिना डाइक पेटेम बहर्ले अठा बरस हमार संग । टै जलमल नै रहिस टे टुहिन हेर्नास लागे । जब जलम लेले टव टोर सुन्डर्टा  डेख्के बरे खुशी हुइलि हम्रे । टोर डाइ से कहि आझ छाइ हमार संग बा । बिचारी छाइ आख डडुर कोनम खेल्टा हाँस्टा जवान हुइटे चलजाइ छोरके । हमार मन रोए टुहिन समझके । 

डाइ बाबा कलेरहिन ठरुवा कलक घरक खुँटा हुइटै । खुँट बलगर टे घर बलगर कठैं । खुटा मजा टे घर मजा कठैं । टै बिपिन हे मन परैले मजा बाट हो । जिन्गि कटैना टोर हो । बिपिन टोर जिन्गिक साहारा हुइट । छाइ टुहि जलम टे  डेलि करम डेहुइया टोर ठरुवा हुइट छाइ कहिके सम्झाइन डाइबाबा ।

भोजकरोज पठाइ बेला डाइ बाबक आँस गिरट डेख्लक समझके आँखि रसाइ पुगिन । सम्झठिन अत्रा ढेर मैयाँ डाइ बाबा के । उक्वार भेंट मे घण्टौ सम डाइक उक्वारमे रोइलक । जौ रोज गिटक उ घरेमसे बिडाइ हुइटहिन उ जलम घरसे आप करम घर जाइ टहिन । गिटाहे सयौं मनै आशिर्वाद डेलिन । खुशि ओ सन्टि परिवार के लाग । डुनु जहनके जोरि अमर रहोस कहिके । तर जिन्गिक खेल कना हो कि भगवानके खेल  बिपन गिटाहे जुनिभर साठ डेहे नै सेक्लै । भरखर टे बिपिन पिहिला सपना पुरा हुइल रहिन । उहे बेला बिपिनके जिन्गिक कहानी अन्त होगैलिन । जिन्गिक भावनाके गहिराइमे डुबल रहिन उ । जिन्डगि कहाँसे कहाँ पुगाडेरहिन ।

गीटा अपन लाखौंके खर्चमे बनल घर हेर्ठि ओ सोंच्ठि । एक डिन मै यि डुनियाँमे नै रहुँ । मै अडृश्य रुपमे टर परमेश्वरके नजरमे रहुँ । नौ महिना मोर घर डाइक कोख रहे । टब जाके डाइ बाबनके बनाइल घरेम हुुर्कनु । कुछ वर्ष पाछे महि डाइ बाबाके घरसे फेंन बिडाइ लेके विपिनके घर आइ परल । अाब मोर के बा इ डुनियामे इ घर फेंन मोर नै हो आखिर कबसम रहे मिलि इ घरेम । गीटा बहुट गहिरसे भावुक होजैठी । आखिर इ संसारमे सडा-सडा रना घर कौनो नै हो । शरीर अपन नै हो कलेसे आउर के कना हो । 

गीटा अकेली घरम ओत्रा भारी घरम अकेलि रठि ओ लौव घर सम्झठि संसार के नाहि स्वर्गके जहाँ हमा लाग टयार बा कना अस्राम । जट्टिसे एक डिन सब जहन यि डुनियाँ छोर्के सबजहन लौव घर स्वर्ग जाइ पर्ना बा । ओराइल । 

संगम चौधरी....✍️

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